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त्रिलोकसार
वाचा : ३८१
अवमुक्त दिन राज्योस्तापतमसो वर्तमानकालत्वात् तत्तापक्षेत्रप्रमाणं निरूपयन् श्रावणमाघमासादीनां दक्षिणोत्तरानयनं निरूपयति
३३.
सावणमा सव्वव्यंतर बाहिर पहडिओ होदि ।
सूरयिमासम्स य तावतमा सन्धपरिही ।। ३८१ ।।
श्रावणमाघे सर्वाभ्यासस्यस्थित इति ।
सूर्य स्थितमासस्य च तापत्तनमी सर्वपरिधीषु ।। ३८१ ॥
सावरण | भावसमासे माघमासे ययासंख्यं सर्वास्वतरपराह्यपपस्थितो भवति सूर्यः । तस्य सूर्यस्थितमालस्य तापतमती सर्वपरिधिवातये । घण्णा मासानामेतावत्सु दिनेषु १८३ नाव एकाविमासानो किमिति सम्पास्यापर्यासते तसमासानां विनसंख्याः स्युः । था श्री भा ६१० ३ का १२ मा ३७५ १८३३ मा फा ६१६ चैवं १२२१८३ इमामेव दक्षिणायनोशरावरणदिनानि स्युः ॥ ३८१ ॥
इस प्रकार उपयुक्त कहे हुये दिन और रात में ताप और तम मनुष्य लोक में होते हैं । उस ताप और तम के क्षेत्र का निरूपण करते हुए आचार्य श्रावण एवं माघ आदि माह में सूर्य के दक्षिणयत और उत्तरायण की प्ररूपणा करते हैं :
गाथार्थ :- श्रावण माह में सूयं सबसे अभ्यन्तर परिधि में तथा माघ माह में सबसे बाह्य परिधि में स्थित रहता है। सूर्य स्थित माह के ताप और तम को सर्व परिधियों में कहना चाहिये || ३५१ ||
विशेषार्थ :- सूयं श्रवसा माह में सबसे अभ्यन्तर परिधि में और माघ मास में सबसे बाह्य परिधि में रहता है । (शेष महिनों में मध्यम परिधियों में रहता है) उन सूर्य स्थित माह के ताप औतम को सर्व परिधियों में कहना चाहिये । यथा— जबकि छह माहों में १०३ दिन होते हैं । तब एक माह में कितने दिन होंगे ? इस प्रकार त्रैराशिक करने पर प्रत्येक माह की निम्नलिखित दिन संख्या प्राप्त होती हैं :--
१ श्रावण माह में १६३ २ भाद्रपद तक (' + ) ३ आसीन माह तक (+) ४ कार्तिक तक (' + '' ) ५. मार्गशीर्ष माह तक ( १३२ + 5
=
)
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३०३ दिन होते है ।
६१ दिन होते हैं ।
३ दिन होते हैं ।
१२२ दिन होते हैं ।
30 दिन होते हैं।
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