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त्रिलोकसार
पाय।।३२-३६६
जिन मन्दिर है ऐसा कहा गया है। यह असंख्यात द्वीप समुद्रों सम्बन्धी ज्योतिषी बिम्बों की संख्या है। प्रकचन्द्रस्य परिवाराणां ग्रहनक्षत्रतारकाणां परिमाएं निवेदयति
अडसीदट्ठावीसा गहरिक्खा तार फोडकोडीणं । छाष्टिसहस्साणि य णवसयपण्णतरिगि चंदे ।।३६२।। अष्टाशीत्यष्टाविंशतिः ग्रहऋशयोस्ताराः कोटिकोटीनाम् ।
षट्पष्टिसहस्राणि च नवशतपश्चसप्ततिरेकस्मिन् चन्द्र ॥३६२।। पर। महाशीरयष्टाविंशति ८८ x २८ ग्रहनक्षत्रयोः तारका प्रमाणं षट्पष्क्षिसहस्राणि मवशतपश्चसहतिकोटीकोटमा एकस्मिन् चन्ने परिवाराः ॥ ३६२ ॥
एक चन्द्रमा के परिवार में रहने वाले ग्रह, नक्षत्र और तारापों का परिमाण कहते हैं
गावार्थ :-एक चन्द्रमा के परिवार में अठ्यासी मह, अट्ठाईस नक्षत्र और छयासठ हजार नौ खौ पिचहत्तर कोडाकोड़ी तारागण हैं ।। ३६२ ।। - विशेषार्थ:-एक चन्द्रमा के परिवार में ८ मा २८ नक्षत्र बोय ६६६५५०००००००००००००० तारागण हैं ।। ३६२ ।। अथाष्टाशीतिग्रहाणां नामान्यष्टाभिर्गाथाभिनिरूपयति
कालविकालो लोहिदणामो कणयक्ख कणयसंठाणा अंतरदो तो कषयव दुंदुमि रचणिहरूवाणिज्मारो ।। ३६३ ।। पीलो गीलब्भासो अस्सस्सद्वाण कोस कंसादि । वण्णा कंसो संखादिमपरिमाणो प संखवण्णोनि ।। ३६४ ।। तो उदय पंचवण्णा तिलो य तिलपुच्छ छाररासीओ। तो धूम धूमकेदिगिसंठाणण्णो कलेवरी वियडो ।। ३६५ ।। यह मिण्णसंधि गंठी माण चयुप्पाय विज्जुजिभणमा । तो सरिस णिलय कालय कालादीकेउ भणयक्खा ॥ ३६६ ।।