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गाथा । ३३३
कम | ज्योतिबिम्बों के नाम
१
तारागण
२
सूर्य
3
चन्द्र
ऋश्न ( नक्षत्र )
बुध
शुक
गुरु
४
५
६
७
G
अङ्गारक ( मंगल मन्दगति ( शनि )
ज्योतिर्लोकाधिकार
चित्रापृथ्वी से योजनों में ऊंचाई
चित्रा पृथ्वी से ७९० योजन ऊपर स्थित हैं । ७९० + १० = ८०० योजन ऊपर स्थित हैं । ८००÷८०६५० योजन ऊपर स्थित हैं । ६८०+४ =८८४ योजन ऊपर स्थित हैं । ८८४+४ =योजन ऊपर स्थित हैं । ८+ ३८६१ योजन ऊपर स्थित है। =९१+ ३ = ८९४ योजन ऊपर स्थित हैं । ६६४+३ ८९७ योजन ऊपर स्थित हैं । ८१७+ ३ = ९०० योजन ऊपर स्थित हैं ।
मीलों में ऊँचाई
३१६०००० मील उपय
'३२००००० " S ३५२००००
३५३६००० "
३५५२००० ४ P
३५६४००० * Я
३५७६००० "
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३५८८००
३६०००००
अवसेमाण गहाणं णयरीमो उवरि चिचभूमीदो ।
मंतण हसणीणं विनाले होंति णिच्चाओ ।। ३३३ ।।
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अवशेषाणां ग्रहाणां नगयें उपरि चित्राभूमितः ।
गत्या बुधशन्योः विच्चाले भवन्ति नित्या ॥। ३३३ ।।
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इस प्रकार ज्योतिषी देवों की ऊंचाई (१०+२०+४+४+३+३+३+३) ११० योजन ( ४४०००० मील ) मात्र है। अर्थात् सम्पूर्ण ज्योतिषीदेव पृथ्वी तल से ७९० योजन (३१६०००० मील) की ऊंचाई से प्रारम्भ कर ९०० योजन ( ३६००००० मील ) की ऊंचाई तक स्थित हैं।
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विशेषार्थ :- चित्रा पृथ्वी से ऊपर जाकर बुध और शनिश्चर ग्रहों के अन्तराल अर्थात् योजन और ९०० योजन के बीच में अवशेष ८३ ग्रहों की क३ नगरिया निय-अवस्थित है।
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श्रवसेस | प्रवशिष्टानां प्रहारण ३ नमः उपरि चित्रानमितो गत्वा बुधदानंश्वर मोविच्चाले प्रन्तराले भवन्ति निश्या: ॥ ३३३ ॥
गाथार्थ :- चित्रा पृथ्वी से ऊपर जाकर बुध और शनिश्चर के प्रन्तराल में अवशिष्ट ८३ ग्रहों की नित्य नगरिय अवस्थित हैं ।। ३३३ ॥
सम्पूर्ण ग्रह हैं, उनमें से ( १ ) बुध, ( २ ) शुक्र, ( ३ ) गुरु, १४) मंगल और ( ५ ) शनि इन पाँचों को छोड़कर अवशेष १ काल विकाल, २ लोहित, ३ कनक, ४ कनक संस्थान, ५ अन्तरद
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