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________________ गापा! १६९ लोकसामान्याधिकार १७३ इन्द्रक दिलों का विस्तार दिखाते हैं: गाया-प्रथम इन्द्रक बिल का विस्तार मनुष्य क्षेत्र प्रमाण तथा अन्तिम इन्द्रक का विस्तार अम्बूद्वीप प्रमाण है । दोनों का शोधन कर, एक कम इन्द्रकों के प्रमाण का भाग देने पर हानि चय प्राप्त होता है ।।१६। विशेषार्थः- प्रथम सोमन्त इन्द्रक बिल का विस्तार मनुष्य क्षेत्र सदृश अर्थात् ४५०.००० योजन प्रमाण है. और अन्तिम अवधि स्थान इन्द्रक बिल का विस्तार जम्बूद्वीप सदृश अर्थात् १०... योजन प्रमाण है । इन दोनों का शोधन करने पर ( ४५०...---१००...) =५४ लाख योजन शेष रहे । इनमें एक कम इन्द्रकों का अर्थात् ४६-१-४८ का भाग देने पर ६१६६६ २६ अर्थात् । योजन प्रत्येक इन्द्रक का हानि चय है । इस हानि चय को ४५००... ( ४५ लाख ) में से घटा देने पर दूसरे निरय इन्द्रक का ( ४५......-६१६६६३) =४४०८३३३३ योजन प्रमाण प्राप्त होता है। ४४०१.६६३ ३ योजना में से १९५६६३ पटा देने पर तीसरे रोरव इन्द्रक का ४३१६६६६ योजन प्रमाण प्राप्त होता है । इसी प्रकार उत्तरोत्तर हानि चय घटाते हुए निम्नलिखित प्रकार विस्तार प्राप्त होगा :-- । चार बगले पृष्ठ पर देखिये )
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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