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पापा१५७
कोकसामान्याधिकार
पञ्चममागप्रमाणा निरयाणां भवन्ति संख्यविस्ताराः।
शेषचतुः पञ्चभागा असंख्मविस्ताराणि नरकाणि ॥१६॥ पंचम । पञ्चमभागप्रमाणा ३०००००० मरकाणां भवन्ति संख्येयविस्सा १००००० तच्छेवतुः पञ्चभाषाः २४००००० मसंख्येयविस्तारारिण मरकारिण संभोयविस्तारेषु ६०.... नाकापनयने १३ कृते ५EEL८७ अपशिष्ठामि संख्येयविस्तारप्रकीर्णकानि भवन्ति । मसंख्येयविस्तारेषु २४००००० भेलाबडा ४४२० पनयने कृते २३६५५६० शेषाणि घसंध्येयविस्तारप्रकोपकानि भवन्ति प्रत्येक द्वितीयादिवि समस्ते च धनमेवमानेतन्यम् ॥१६॥
नरक बिलों का विस्तार:
पापा:-प्रत्येक पृथ्वी के सम्पूर्ण बिलों के वे भाग प्रमाण बिल संख्यात योजन विस्तार वाले हैं, और शेष भाग प्रमाण असंख्यात योजन विस्तार वाले हैं ॥१६७ ।
विशेषाम:-३०००.०० का - ६००.०० संख्यात यो वि० वाले इन्द्रक+प्रकीर्णक तथा शेष भाग अर्थात् ३०००... का - २४००००० असंस्थात पो. वि. वाले श्रेणी + प्रकोएंक बिलों की प्रथम पृथ्वी की संख्या है। इन ६००,००० में से १३ इन्द्रक घटा देने पर ५९९९९८७ संख्यात योजन विस्तार वाले प्रकीर्णक शेष रहते हैं। तथा २४ लाख में से ४२० श्रेणीबद्ध घटा देने पर २३६५५८० असंख्यात योजन विस्तार वाले प्रकोणक बिल शेष रहते हैं । द्वितीयादि पृश्चियों को संख्या भी इसी प्रकार निकाल लेनी चाहिए । जैसे:
२५००००.x= ५०००००-११ = ४९९९८९ द्वितीय पृथ्वी के संख्यात यो. वि. वाले प्रकोएंक २५०००.0x=२०००.००-२६८४=१९९७३१६ द्वितीय पृथ्वी के प्रसंख्यात यो• वि.वाले प्रकीर्णक १५००.०.x= ३०००००–९ = २९९९९९ तृतीय पृथ्वी के संख्यात यो• वि. वाले प्रकोणंक १५००.००x४=१२०.०००-१४७६=११६८५२४ तृतीय पृथ्वी के असंख्यात यो वि.वाले प्रकीर्णक १००००००४- २०००००-० = १९९९९३ चतुर्थ पृथ्वी के संख्यात यो० वि० वाले प्रकीएफ २००००००x= ८५००००-७. = ७९९३०० चतुथं पृथ्वी के असंख्यात यो वि० वाले प्रकीर्णक ५८०००.४६= ६.०००-५ - ५९९९५ पञ्चम पृथ्वी के संख्यात यो• वि. वाले प्रकीर्णक ३००००.x¥= २४००००-२६० -२३९७४० पञ्चम पृथ्वी के असंख्यात यो. वि. वाले प्रकीएक १९९९५४ = १९९९९-३ - १९९९६ षष्ठ पृथ्वी के संख्यात यो० वि• वाले प्रकोर्णक ६६९९५४- १९९६-६० = ७९९३६ षष्ठ पृथ्वी के असंख्यात यो० वि० वाले प्रकोएंक
५४- १-१ - सप्तम पृथ्वी के संख्यात यो. वि. वाले प्रकीर्णक ५x=
• सप्तम पथ्वी के असंख्यात यो० वि० वाले प्रकीर्णक