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________________ १३४ क्रमाङ्क क्षेत्रों के नाम १ क २ ख ३ ग ४ घ ५. च ७ द 28 य र • + 5 = | = = 3 + 3=| + 0 = SWAP - + 봄시 3+ | 양씨ᅧ +j = 3 × | = 3 x 143 5 +! - छ appy C x x امو ¥× ३=| 3×| #> x=x }= 3x 3 x | २=| xx ? = 3x ६. स्त्र १० व ११ स १२ आयता १+१= २ x ३ कार १३ स नाड़ी १ + १ = २४ = त्रिलोकसार X := x 7 ३= 3x ३= 1 + 3 = $ x 3 x = । क्षेत्रफल x दोनों भागों के ११, ११ क्षेत्रों के क्षेत्रफल का + + + + + + २५ + २४ + २४ १४ १४ ९ 3×1 ३ × १ = १ x ३ ! X ६६ x दो क्षेत्र हैं || ७ × ३६ क्षेत्र ४ ३× ६क्षेत्र hr योग : ३५ वर्ग बाजु दोनों ओर का १ ० 19 सम्पूर्ण क्षेत्रफल "1 SP " 27 H P # " गाया : १२० + + + 3 T ॐ B M 10 # 11 * 1F 39 १६ + १ + १६ +२०+२७ + ०३ - ३६ २८ राजू अर्थात् दोनों भागों के ११ ११ क्षेत्रों का क्षेत्रफल १० राजू + दोनों भागों के ४, ४ आयताकार का क्षेत्रफल ४ राजू + मध्य की नस नाही का क्षेत्रफल ७ राजू राजू । पिनष्टि लोक का सम्पूर्ण क्षेत्रफल २१ वर्ग राजू प्राप्त हुआ । २१ वर्ग =
SR No.090512
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, Ratanchand Jain, Chetanprakash Patni
PublisherLadmal Jain
Publication Year
Total Pages829
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size19 MB
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