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गाथा 1 ११८ लोकसामान्याधिकार
१२७ इसे । राजू व्यास में जोड़ने से (३+३) = 3 राजू व्यास प्रथम युगल के समीप है। रा युगल भी प्रथम युगल से १३ राजू ऊंचा है, अत: +३ = वगं राजू प्रमाण व्याम सानत्कुमार माहेन्द्र युगल के समीप है । यहाँ से ब्रह्मलोक ३ राजू ऊंचा है । अतः जबकि राजू की ऊँचाई पर ४ राजू की वृद्धि है, नब : राजू पर कितनी वृद्धि होगी। । ४ x 1) = राजू वृद्धि हुई । इसे १. वर्ग राजू में जोड़ने से (3. + ) = १५ या ५ वर्ग राजू व्यास ३ रे युगल के समीप है । इसके आगे प्रत्येक युगल राजू ऊंचा होने से हानि का प्रमाण भी राजू ही होगा। अतः १५ - = 3 वर्ग राज व्यास लान्तर कापिष्ट युगल के समीप, - - वर्ग राजू व्यास शुक्र महा शुक युगल के समीप, ५. -3 - 33 वर्ग राजू ज्यास सतार-सहस्रार युगल के समोप, - - वर्ग राजू व्यास आनत-प्रागात युगल के समीप और -3 = १ वर्ग राजू ग्यास प्रारण-अच्युत युगल के समीप है । यहाँ से लोक के अन्त तक को ऊँचाई एक राज है, अतः ३६ को ऊँचाई पर राज की हानि है, तब एक राज की ऊंचाई पर कितनी हानि होगी? इस प्रकार राशिक करने पर हानि का प्रमाण (Fxx.)- राजू प्राप्त हृया। इसे " वर्ग राजू में से घटाने पर (१५.-) = ; अति १ राजू का व्यास लोक के अन्त भाग का है।
इस प्रकार पूर्व पश्चिम की अपेक्षा लोक का व्यास होनाधिकता को लिये हुये है। जिसका चित्रमा निम्नप्रकार है :
मुखभूमिजोगदले सूत्रानुसार क्षेत्रफल :--
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