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श्री वीतरागाय नमः *
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भगवान महावीर के २५०० व परिनिर्वाण के पुनीत अवसर पर प्रकाशित
श्री शिवसागर ग्रन्थमाला का छठा पुष्प श्रीमन्नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवति विरचित
त्रिलाकसार
( श्रीमन्माधवचन्म त्रैविग्रदेवकृत व्याख्या सहित )
हिन्दी टीकाकी : पूज्य विदुषी आर्यिका १०५ श्री विशुद्धमति माताजी ( संघस्था, प० पू० पात्रायंकल्प १०८ श्री श्रुतसागरजी महाराज )
सम्पादक :
सिद्धान्तभूपण ७० पं. रतनचन्द जैन मुख्तार, सहारनपुर प्रा० चेतनप्रकाश पाटनी, जोधपुर विश्वविद्यालय, जोधपुर
प्रकाशक : ७० लाडमल मैन
अधिष्ठाता, शान्तिवीर गुरुकुल ___ठि. श्री शान्तिवीर दिगम्बर जैन संस्थान, श्री महावीरजी ( राजस्थान )
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