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पूर्ण है । कविका दूसरा ग्रन्थ 'साहसभीम विजय' या 'गदायुद्ध' है । इस ग्रन्थमें दश आश्वास हैं | चम्पू काव्य है । कविने महाभारतको कथाका सिंहावलोकन कर चालुक्य नरेश आवमल्लका चरित्र अंकित किया है। कविका जन्म ई० सन् ९४९ में हुआ है ।
नागचन्द्र या अभिनव पम्प
इका समय ई० सन् ११०० है । नागचन्द्रकी उपाधि अभिनव पम्प थी । ये अत्यन्त प्रतिभाशाली हैं। अभिनव पम्पने 'मल्लिनाथपुराण' की रचना की । यह उपासनाप्रिय कवि हैं । इसने संस्कृत भाषा से बहुमूल्य अलंकार और पद ग्रहणकर अपनी कविताको भूषित करनेका प्रयास किया है। अभिनव पम्पको काव्य प्रतिभा कई दृष्टियोंसे महत्त्वपूर्ण है । कवि अभिनव पम्प के समय में कन्ति देवी नामको उत्कृष्ट कवयित्री भी हुई हैं । कविने इस कवयित्रीके सम्बन्धमें महत्त्वपूर्ण उद्गार व्यक्त किये हैं। अभिनव पम्पको 'साहित्य भारतीय' 'कर्णपूर' 'साहित्य विद्याघर' और 'साहित्य सर्वज्ञ' आदि उपाधियाँ थीं ।
ओड्डय्य
इनका समय ई० सन् १९७० के लगभग है । इन्होंने कव्वगर काव्यकी रचना की है। भाषा और विषयके क्षेत्र में क्रान्तिकारी कवि है । इन्होंने अपने काव्य ग्रन्थोंको केवल धर्म विशेषके प्रचारके लिए ही नहीं लिखा, प्रत्युत् काव्य रसका आस्वादन लेने के लिए ही काव्यका सृजन किया है । इतिवृत्त, वस्तुव्यापार वर्णन, संवाद और भावाभिव्यञ्जनकी दृष्टिसे इनके काव्यका परीक्षण किया जाये, तो निश्चय ही इनका काव्य खरा उतरेगा ।
नयसेन
नयसेनका समय ई० सन् १९२५ है । इन्होंने धर्मामृत, समयपरीक्षा और धर्मपरीक्षा ग्रन्थों की रचना की है। इन्होंने धारवाड़ जिलेके मूलगुन्दा नामक स्थानको अपने जन्मसे सुशोभित किया था। उत्तरवर्ती कवियोंने इन्हें 'सुकविनिकर पिकमाकन्द', 'सुकविजनमनसरोजराजहंस' और 'वात्सल्यरत्नाकर' आदि विशेषणोंसे विभूषित किया है। इनके गुरु नरेन्द्रसेन थे। इनके द्वारा रचित धर्मामृत श्रावकधर्मका प्रसिद्ध ग्रन्थ है । कविने इसमें धर्मोद्बोधन हेतु कथाएं भी लिखी हैं । इनकी भाषा संस्कृत मिश्रित कन्नड़ है । इनका परिचय विस्तारपूर्वक पहले लिखा जा चुका है।
३०८ तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा