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________________ पूर्ण स्थान है । इनका जन्म वि० सं० १८५२ में जयपुरनगरमें हुआ था। इनके पिताका नाम दुलीचन्द और गोत्र काशलीवाल था । इनका जन्म डेडराजवंशमें हुआ था । अर्थप्रकाशिकाकी वचनिकामें अपना परिचय देते हुए लिखा है 'डेडराजके वंश माहि इक किचित् ज्ञासा । दुलीचन्दका पुत्र काशलीवाल विख्याता ।। नाम सदासुख कहें यात्मसुत्रका बहु इच्छुक । सो जिनवाणी प्रसाद विषयतें भये निरिच्छुक ।। पण्डित शाशजी बहे शील । सदाचारी, आत्मनिर्भय, अध्यात्मरसिक और धार्मिक लगनके व्यक्ति थे । ये परम संतोषी थे। आजीविकाके लिए थोड़ा-सा कार्य कर लेने के पश्चात अध्ययन और चिन्तनमें रत रहते थे । इनके गुरु पण्डित पन्नालालजी और प्रगुरु पण्डित जयचन्दजी छाबड़ा थे। इनका ज्ञान भो अनुभवके साथ-साथ द्धिगत होता गया था । बीसपंथी आम्नायके अनुयायी होनेपर भी तेरहपंथी आम्नायके प्रति किसी भी प्रकारका विद्वेष नहीं था। इनके शिष्योंमें पण्डित पन्नालाल संगी, नाथूराम दोषी और पण्डित पारसदास निगोत्या प्रधान हैं। पारसदासने 'ज्ञानसूर्योदय'नाटककी टोकामें इनका परिचय देते हुए इनके स्वभाव और गुणोंपर प्रकाश डाला है लौकिक प्रवीना तेरापंथ माहि लीना, मिथ्याबुद्धि करि छीना जिन आत्तमगुण चीना है । पढ़े औ पढ़ावें मिथ्या अलटकूँ कढ़, ज्ञानदान देय जिन मारग बढ़ावें हैं। दीसें घरवासी रहें घरहूर्ते उदासी, जिनमारग प्रकाशी जग कीरत जगमासी है। कहाँ लो कहीजे गुणसागर सुखदास जूके, ज्ञानामृत पीय बहु मिथ्याबुद्धि मासी है। पण्डित सदासुखजीके गार्हस्थ्यजीवनके सम्बन्धमें विशेष जानकारी प्राप्त नहीं है, फिर भी इतना तो कहा जा सकता है कि पण्डितजीको एक पुत्र था, जिसका नाम गणेशीलाल था। यह पुत्र भी पिताके अनुरूप होनहार और विद्वान् था, पर दुर्भाग्यवश २० वर्षकी अवस्थामें हो इकलौते पुत्रका वियोग हो जानेसे पण्डिजीपर विपत्तिका पहाड़ टूट पड़ा । संसारी होने के कारण पण्डितजी भी इस आघातसे विचलितसे हो गये । फलतः अजमेर निवासी स्वनामधन्य सेठ मूलचन्दजी सोनीने इन्हें जयपुरसे अजमेर बुला लिया । यहाँ आनेपर इनके दुःखका उफान कुछ शान्त हुआ। इनका समाधिमरण वि० सं० १९२३में हुआ । इनकी रचनाएँ निम्नलिखित हैं आचार्यतुल्य काव्यकार एवं लेखक : २९५
SR No.090510
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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