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________________ यावश्यक है । सानाकी आधिक रनलिके लिए वाणिज्य और नगायको बढ़ाना मालके आने-जाने पर कर लगाना प्रत्येक राजाके लिए अनिवार्य है। न्यायालयकी व्यवस्था ___ सोमदेवसूरिने 'नीतिवाक्यामृत' में न्यायालय-व्यवस्थाके लिए अनेक आवश्यक बातें बतलायी है। इन्होंने जनपद-प्रान्त, विषय-जिला, मंडल-तहसील, पुर–नगर और ग्राम इनकी शासन-प्रणाली संक्षेपमें बतलायी है। राजाकी एक परिषद् होनी चाहिए, जिसका राजा स्वयं सभापति हो और यही परिषद् विवादों मुकद्दमोंका फैसला करे । परिषद्के सदस्य राजनीतिके पूर्ण ज्ञाता, लोभ-पक्षपातसे रहित और न्यायी हों। वादी एवं प्रतिबादीके लिए अनेक प्रकारके नियम बतलाते हुए कहा है कि जो वादी या प्रतिवादी अपना मुकदमा दायर कर समयपर उपस्थित न हो, जिसके बयानमें पूर्वापर विरोध हो, जो बहस द्वारा निरुत्तर हो जाये, या वादी प्रतिवादीको छलसे निरुत्तर कर दे, वह सभा द्वारा दण्डनीय है। वाद-विवादके निर्णयके लिए लिखित साक्षी, भुक्तिअधिकार, जिसका बारह वर्ष तक उपयोग किया जा सका है, प्रमाण है | न्यायालयमें साक्षीके रूपमें ब्राह्मणसे सुवर्ण और यशोपवीतके स्पर्शनरूप शपथ, क्षत्रियसे शस्त्र, रत्नभूमि, वाहनके स्पर्शनरूप शपथ, वैश्यसे कान, बाल और कोकिणी-(एक प्रकारका सिक्का ) के स्पर्शनरूप शपथ एवं शूद्रासे दुध, बीजके स्पर्शनरूप शपथ लेनी चाहिये। इसी प्रकार जो जिस कामको करता है, उससे उसी कार्यको छुआ कर शपथ लेनी चाहिये । सोमदेवने शासनव्यवस्था सम्बन्धी कुछ नियम भी बतलाये हैं। अवाय नीतिका वर्णन करते हुए सन्धि, विग्रह, वान, आसन, वेषीकरण और संश्रय इन छह गुणोंका तथा राजनीतिके साम, उपदान, दण्ड और भेद इन नारो अंगोंका विस्तारसहित प्रतिपादन किया है। सन्धि "पणवन्धः सन्धि:"-अर्वात् जब राषाको कह विश्वास हो जाये कि थोड़े ही दिनमें उसकी सैन्य-संख्या बढ़ बायेगी, तब स्तमें अपेक्षाकृत बधिक बल आ जाये, तो वह क्षति स्वीकार कर यो सन्धि कर ले । अबदा प्रपल राजासे आक्रान्त हो और स्वाक्का उपाय न हो, तो कुछ भेंट देकर सन्धि कर ले। विग्रह "अपराषो विग्रहः" अर्थात् जब अन्य राजा अपराध करे, राज्यपर आक्रमण करे या राज्यको वस्तुबोकर अपहरण करे, तो उस समय उसे दण्ड प्रवाई एवं परम्परापोषकाचार्य : ८१
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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