SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वद्दिगकी, जो चालुक्यवंशीय अरिकेशरीके प्रथम पुत्र थे, राजधानी गंगधारामें यह काव्य समाप्त हुआ। अतः सोमदेव ई० सन् ९५९ अर्थात् दशम शतीके विद्वानाचार्य हैं। रचनाएँ इनकी तीन रचनाएँ उपलब्ध हैं-१. नीतिवाक्यामृत, २. यशस्तिलकचम्पू और अध्यात्मतरंगिणी। इनके अतिरिक्त पक्तिचिन्तामणिस्तव, त्रिवर्गमहेन्द्रमातलिसंजल्प, षण्णवतिप्रकरण और स्याद्वादोपनिषद्की भी सूचना मिलती है। वद्दिगके दानपत्रसे सोमदेवके एक सुभाषितका भी संकेत मिलता है। नोतिवाक्यामृत ___ नीति वाक्यामत राजनीतिका कौटिल्यके अर्थशास्त्रकी तरह उत्कृष्ट ग्रन्थ है। इसमें राजा, मंत्री, कोषाध्यक्ष और शासन-संचालनके मौलिक सिद्धान्तोंका प्रतिपादन किया गया है। नीतिवाक्यामृत मूलरूपमें बम्बईसे सन् १८९१ में प्रकाशित हुआ था । सन् १९२२ में माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला बम्बईसे संस्कृतटीका सहित प्रकाशित हुआ । सन् १९५० में पण्डित सुन्दरलाल शास्त्रीने हिन्दी अनुवादके साथ इसका प्रकाशन किया । नीतिवाक्यामृतपर दो टीकाएँ हैं । एक प्राचीन संस्कृतदीका है, जिसके लेखकका नाम और समय ज्ञात नहीं है। पर मंगलाचरणके श्लोकसे इनका नाम हरिबल ज्ञात होता है हरि हरिबलं नत्वा हरिवर्ण हरिप्रभम् | हीज्यं च ब्रुवे टोकां नीतिवाक्यामृतोपरि ।। इससे ऐसा ज्ञात होता है कि जिस प्रकार मुल ग्रन्थ रचयित्ताने अपना नाम मङ्गलपद्यमें समाहित कर दिया है, उसी प्रकार हरिबलने हरि अर्थात् विष्णुको नमस्कार करते हुए अपने नामको समाहित कर दिया है । इस ग्रन्थमें ३२ समुद्देश्य हैं 1 जिनके नाम क्रमशः (१) धर्मसमुद्देश्य, (२) अर्थसमुद्देश्य, (३) कामसमुद्देश्य, (४) अरिषड्वर्ग, (५) विद्यावृद्ध, (६) आन्वीक्षिकी, (७) श्रयी, (८) वार्ता, १९) दण्डनीति, १०) मंत्री, (११) पुरोहित, (१२ सेनापति, (१३) दत, (१४) चार, (१५) विचार, (१६) व्यसन, (१७) स्वामि, (१८) अमात्य, (१९) जनपद, (२०) दुर्ग, (२१) कोश, (२२) बल, (२३) मित्र, (२४) राजरक्षा, (२५) दिवसानुष्ठान, (२६) सदाचार, (२७) व्यवहार, १. यशस्तिलक, उत्तरा०, पृ० ४१८ । २, नीतिवाक्यामृतम्, माणिकचन्द्र दिगम्बर जैनग्रन्थमाला, मङ्गलपच । अनुदाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य : ७३
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy