SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सोमदेवमूरि आचार्य सोमदेव महान् तार्किक, सरम साहित्यकार, कुशल राजनीतिज्ञ, प्रबुद्ध तत्त्वचिन्तक और उच्चकोटिके धर्माचार्य थे। उनके लिए प्रयुक्त होने वाले स्याद्वादाचलसिंह, नामिचक्रवर्ती, कादीपनामग, मल्ललाहो. निधि, कविकुलगजकुंजर, अनवद्यगद्य-पद्यविद्याधरचक्रवर्ती आदि विशेषण उनकी उत्कृष्ट प्रज्ञा और प्रभावकारी व्यक्तित्व के परिचायक हैं। नीतिवाक्यामृतको प्रशस्तिमें उक्त सभी उपाधियाँ प्राप्त होती हैं।' ये नेमिदेवके शिष्य, यशादेवके प्रशिष्य और महेन्द्रदेवके अनुज थे । यशोदेवको दवसंघका तिलक कहा गया है। पर हमके दानपत्रम गौडसंघका | नीतिबाक्यामृत और यशस्तिलककी प्रशस्तियोंके अनुसार नेमिदेव अनेक महावादियों के विजेता थे । महेन्द्र देवको भी दिग्विजयी कहा जाता है। सोमदेव भी गुम और अनुजक रामान ताकिक होनेक साथ राहृदय कवि भी थे। यशस्तिलकके प्रारम्भमें लिखा है-- आजन्मसमभ्यस्ताच्छुकात्तत्तिणादिव ममास्याः । मतिसुरभेरभवदिदं मूक्तिपयः मुकृतीनां पुण्यः ।। मरी बुद्धिरूपी गीने जीवनभर तकरूपी घास खायी, पर अब उसी गौस १. "इति सकलताकिचनचूडामणिचुम्बितचरणस्य रमणोअपनपञ्चाशन्महावादिविजया पाजितकीतिमन्नाकिनीपविचित्र त्रिभुवनस्य परतपश्चाणरलोदन्यतः श्रीनेमिदेवभगवतः प्रियशिष्यण दादीन्द्रकालान लश्रीमन्महेन्द्रदेवभट्टारकानुजेन स्याहादाचलसिंहताकिवचक्रवादीभपंचाननवाकाललोलपयोनिधिकविकुलराजकुञ्जरप्रभृतिप्रशस्तिप्रस्तावालारण पणवतिप्रकरण-युवितचिन्तामणि-विनर्गमहेन्द्रमातलिसंजल्प-प्रशोधरमहाराजचरित-महादानवेधसा श्रीमत्सोमदेवमूरिणा विरचितं नीति वाक्यामृतं नाम राजनीतिशान समाप्तम् ।" ---नीति वाक्यामृतम् . गोपालनारायण कम्पनी, बुकसेलर्स, सन् १८९१, अन्तिम प्रशस्ति । २. श्रीमानस्ति स देवसंघतिलको देवो पशःपूर्वक । शिष्यरतस्य वभूव सद्गुणनिधिः श्रीने मिदेवाह्वयः ॥ तस्याश्चतपःस्थितस्प्रिनवतेजैतुमहावादिनाम् । शिष्योऽभूदिह सोमदन इति यस्तस्यैष काव्यक्रमः ।। ..- यशस्तिलक, खण्ड २, पृ. ४१८ । ३. वही, १।१७ । ७० : तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy