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________________ वस्तुतः गद्यचिन्तामणिकाव्यका महत्त्व कथानकगठन, चरित्रचित्रण, वस्तु-विन्यास एवं रसोन्मेषमें है। ३. स्याद्वादसिद्धि ___ महाकवि बादोभसिंहकी एक तीसरी कृति स्याद्वादसिद्धिनामक न्यायरचना भी मानी जाती है। डॉ० प्रो० दरबारीलाल कोठियाने इस कृतिका सम्पादन किया है और माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला बम्बई द्वारा यह प्रकाशित है। कोठियाजोने इसे महाकवि वादीभसिंहकी रचना बतलायी है। पर मेरा विचार है कि यह कार पादाकवि नाटीभगिहाली न होकर अजितसेनकी है। अजितसेनको उपाधि वादीभसिंह थी और मल्लिघेण-प्रशस्तिके अनुसार ये दावानिक आचार्य थे। अतएव इस रचनाके कर्ता ओडयदेव वादीसिंह न होकर अजितसेन वादीसिंह हैं। __ सत्रचूड़ामणि और गद्यचिन्तामणिको परम्परा इसमें उपलब्ध नहीं है। इन दोनों ग्रन्थोंके मंगलाचरणमें कविने 'श्रीपति' शब्दका प्रयोग किया है, पर स्याद्वादसिद्धिका मंगलाचरण उक्त दोनों अन्थोंको मंगलाचरणशैलीसे भिन्न शैलीमें निबद्ध है। __ तीसरी बात यह है कि 'गद्यचिन्तामणि' और 'क्षत्रचूड़ामणि' के अध्ययनसे वादीसिंहके दार्शनिक और तार्किक ज्ञान पर कुछ भी प्रकाश नहीं पड़ता है। यदि ओड़यदेव वादीभसिंह स्याद्वादसिद्धिके रचयिता होते तो इन रचनाओंमें दार्शनिक तथ्य अवश्य सम्मिलित रहते । अतएव स्याद्वादसिद्धिके रचयिता अजितसेन वादोभसिंह हैं, ओडयदेव वादीभसिंह नहीं । महावीराचार्य ___भारतीय गणितके इतिहासमें महावीराचार्यका नाम आदरके साथ लिया जा सकता है। जैन गणितको व्यवस्थित रूप देनेका श्रेय इन्हींको प्राप्त है। महावीराचार्यकी गुरुपरम्परा और जीवनवृत्तके सम्बन्धमें कुछ भी सामग्री उपलब्ध नहीं है। इन्होंने ग्रन्थके आरम्भमें अमोघवर्ष नपतुंगके सम्बन्धमें प्रशंसात्मक विचार व्यक्त किये हैं। इन विचारोंसे महावीराचार्यके समय पर तो प्रकाश पड़ता है, पर उनके जीवनवृत्तके सम्बन्धमें सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती । महाबीराचार्यको इस गणित-ग्रन्थकी पाण्डुलिपियों एवं कन्नड़ और तमिल टीकाओके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि महावीराचार्य मैसुर प्रान्तके किसी कन्नड़ भागमें हुए होंगे। सुदूर दक्षिणमें गणित-विज्ञानको वृद्धिगत करनेका उस समय प्रयत्न किया गया, जब उत्तरीय भारतमें ब्रह्मगस ३४ : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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