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________________ की गयी हैं। आलप्तिके भेदोंका कथन भी किया गया है । सालक, विषम, सालक प्रान्जल, साक्षरा, अनक्षरा और अताला आलतियोंके लक्षण निबद्ध किये हैं। इस प्रकार प्रथम अधिकरणमें नाद, ध्वनि और आलप्ति सम्बन्धी विचार किया गया है। द्वितीय अधिकरणमें आप मंद, स्थायीका नामकरण मोर उनके स्वरूप दिये हैं । इस अधिकरणमें कर्नाटक देशमें प्रचलित संगीतपर विशेष प्रकाश डाला है । वादीस्वरकी व्याख्या करते हुए लिखा है "सप्तस्वराणा मध्येऽपि स्वरे यस्मिन् सुरागता । स जीवस्वर इत्युक्तं अंशो वादी च कथ्यते ॥ संवादी, विवादी और अनुवादीकी व्याख्या भी इसी अधिकरणमें की गयी है। रागोंके सम्बन्ध विचार भी इसी प्रकरणमें पाया जाता है | ग्रह, न्यास, अंश, व्याप्ति और रसका कथन भी इसी अधिकरण में है। राग, रागाङ्ग, भाषाङ्ग, क्रियाङ्ग आदिक विचारके साथ यादी, संवादी और विवादी स्वरोंके संयोगी भेद भी बतलाये है। संगोके पाडव और ओढव रूपोंका वर्णन करने के साथ, भैरव, हिंडोल, मालकंस इत्यादि रागोंका वर्णन भी किया है । तृतीय अधिकरणमें तोड़ी, वसन्त, भैरव, श्रीराग, शुद्धबंगाल, मालश्री, धराडी, गोड, धनाश्री, गुण्डकृति, गर्जरी और देशी इन तेरह रागाङ्ग रागोंका लक्षणसहित निरूपण किया है। वेलावली, अंधाली, आसावरी, मंजरी, ललिता, केशकी, नाटा, शुद्ध बरारी और श्रीकण्ठी ये ९ भाषाङ्ग राग दिये गये हैं। इस तृतीय अधिकरणमें सब मिलाकर ३३ रागोंके लक्षण लिखे गये हैं। यहाँ उदाहरणार्थ भैरव और श्रीरागके लक्षण दिये जा रहे हैं भिन्नषड्जसमुद्भूतोमन्यासोधांशभूषितः । समस्वरोरिपत्यकः प्रार्थने भैरवः स्मृतः ॥ श्रीरागष्टकारागाङ्गमतारो मन्द्रगस्तथा । रिपंचविहीनोऽयं समशेषस्वराश्रयः । षड्जन्यासमहासश्च रसे वीरे प्रयुज्यते ॥ चतुर्थ अधिकरणमें प्रबन्धकी व्याख्या दी है । यह व्याख्या, सोमनाथने भी अपने रागविबोषमें उद्धृत की है । चार षातु और छह अङ्गोंसे जिसका नियमन होता है, वह प्रबन्ध है। जिस प्रकार आस्थायी, अन्तरा, आभोग और संचारी ये ध्रुपदके प्रबन्धक धातु बताये गये हैं । इसके पश्चात् पाद, बन्ध, स्वरपद, प्रमवापार्य एवं परम्परापोषकाचार्य : ३०५
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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