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________________ माघनन्दि-थावकाचार और शास्त्रसारसमुच्चयके टीकाकार माघनन्दिने 'कर्णाटककविचरिते के अनुसार कुमुदेन्द्रको अपना गुरु बताया है। सम्भव है किमानसारमा मन्दिके शिष्य मुदचन्द्र ही श्रावकाचारके रचयिताके गुरु हों। श्री प्रेमीजीका यह अनुमान सत्य प्रतीत होता है कि दादा और पौत्रके नाम समान हो सकते हैं। अतएव शास्त्रसारसमुच्चयके कर्ताका समय ई० सन् को १२वीं शताब्दीका अन्तिम भाग है । रचना-परिचय __ यह ग्रन्थ चार अध्यायोंमें विभक्त है । प्रथम अध्यायमें तीन काल, दश कल्पवृक्ष, चतुर्दश कुलकर, षोडश भावना, चतुर्विशति तार्थंकर, ३४ अतिशय, पञ्चमहाकल्याण, चार घातियाकर्म, १८ दोष, ११ समवशरणभूमि, द्वादश गणघर, अष्टमहापातिहायें, अनन्तचतुष्टय, द्वादश चक्रवर्ती, सप्त अग, चतुर्दश रत्न, नवनिधि, दशांग भोग, नव वासुदेव, नव नारद और एकादश रुद्रोंका कथन आया है। यह अन्य सूत्रशैलीम लिखा गया है। प्रथम अध्यायम २० सूत्र हैं। द्वितीय अध्यायमें ४५ सूत्र हैं । तीन लोक, सात नरक, ४९ पटल, इन्द्रक, प्रकीर्णक और धैणीबद्ध बिल, चार प्रकारके दुःख, जम्बद्वीप, लवणसमुद्रादि द्वीप और समुद्र, मनुष्यलोक, ९६ कुभोगभूमि, पञ्चमन्दराचल, जम्बवृक्ष, शाल्मलीवृक्ष, शतसरोवर, सहस्र कनकाचल, शतवक्षारगिरि, षष्ठिविभंगनदी, भोगभूमि, भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिक देवोंका कथन आया है। तृतीय अध्यायमें ६६ सूत्र हैं। इसमें पञ्च लब्धि, तीन करण सम्यक्त्वके भेद-प्रभेद, अष्ट अंग, अष्ट गण, पञ्च अतिचार, ११ निलय, सस व्यसन, तीन शल्य, आठ मूलगुण, पञ्च अणुव्रत, तीन गुणवत्त, चार शिक्षाप्रत, दैनिक षट्कर्म, दशविध पुजा, चार प्रकारके दान, १२ अनुप्रेक्षा, १० धर्म, २८ मलगुण, पाँच प्रकारके स्वाध्याय, चार प्रकारके ध्यान आदि वर्णित हैं। चतुर्थ अध्याय ६५ सूत्र हैं 1 इसमें छः द्रव्य, पाँच अस्तिकाय, सप्त तत्व, नव पदार्थ, दो प्रकारके प्रमाण, पाँच प्रकारके ज्ञान, तीन कुज्ञान, मतिज्ञानके ३३६ मेद, श्रुतज्ञानके भेद-प्रभेद, नब नय सप्त भंग, पाँच भाव, गुणस्थान, जीव समास, प्राण, संज्ञा, लेश्या, अष्ट कर्म, चार प्रकारके बन्ध, कर्मोकी मल उत्तर प्रकृतियां और सिद्धोंके अष्टगुण प्रतिपादित हैं। छोटा-सा ग्रन्थ होनेपर भी सिद्धान्त, तत्त्वज्ञान और आचारकी जानकारी प्राप्त करनेके लिए उपयोगी है। प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य : २८५ - - -
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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