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२३. संकीर्ण---इस प्रकरणमें १६ गाथाएं हैं और विविध प्रकारके प्रश्नोंके उत्तर निकालनेको विधि वर्णित है।
२४. काल-सात गाथाओंमें नाना प्रकारके किये गये प्रश्नोंके फल कब प्राप्त होंगे इसका विचार किया है।
२५. चक्रपूजा-इसमें पाँच गाथाएं हैं और अन्तमें १२ पद्योंमें एक स्तुति अंकित की गयी है । अन्तमें १२ मन्त्र भी निबद्ध हैं। ___ इस प्रकार प्रश्नाक्षरों द्वारा फलादेश विधिका निरूपण किया है। प्रश्नकर्ताकी शारीरिक शुद्धिके साथ मान्त्रिक गदि भी अपेक्षित है । आचार्य तममनकी शुद्धिका वर्णनकर अन्तमें मान्त्रिक शुद्धिका विधान किया है । प्रश्नशास्त्रको दृष्टि से यह ग्रन्थ विशेष महत्त्वपूर्ण है ।
उग्रादित्याचार्य आयुर्वेदके विशेषज्ञ विद्वान् उग्रादित्याचायने अपना विशेष परिचय नहीं लिखा है। इन्होंने अपने गुरुका नाम श्रीनन्दि, ग्रन्थनिर्माणस्थान रामगिरि पर्वत बताया है। रामगिरि पर्वत बेंगीमें स्थित था। बेंगी त्रिकलिंग देशमें प्रधान स्थान है । गंगासे कटक तकके स्थानको उत्कल देश कहा गया है । यही उत्तर कलिंग है। कटकसे महेन्द्रगिरि तक पर्वतीय स्थानका नाम मध्य कलिंग है। महेन्द्रगिरिसे गोदावरी तकके स्थानको दक्षिण कलिंग कहते हैं। इन तोनों का सम्मिलित नाम विकलिंग है। इस विकलिंगके बेंगीमें सुन्दर रामगिरि पर्वतके जिनालयमें स्थित होकर उग्रादित्यने इस ग्रन्थको रचना को है।
देङ्गोशत्रिकलिङ्गदेशजननप्रस्तुत्य सानूत्कट: प्रोद्यवृक्षलताविताननिरतैः सिद्धेश्च विद्याधरैः । सर्वेमन्दिरकन्दरोपमगुहाचैत्यालयालङ्कृते
रम्ये रामगिराविदं विरचितं शास्त्रं हितं प्राणिनाम् ॥' यह रामगिरि पर्वत सम्भवतः वही है जिसका पद्मपुराणमें निर्देश आया है । हिन्दी विश्वकोषके सम्पादकने लिखा है-त्रिकलिंग जनपद मन्द्राजके उत्तर पलिकट नामक स्थानसे लेकर उत्तर गंजाम और पश्चिममें विपति बेल्लारी कर्नूल, बिदर तथा चन्दा तक विस्तृत है। श्री नन्दलाल डेने अपने 'The geographical Dictonary of Ancient and Madicvel India' नामक कोषमें मध्यभारतको त्रिकलिंग माना है और नागपुरसे २४ मील उत्तर १. कल्याणकारक, अंतिम प्रशस्ति, प्रशस्तिसंग्रह, आराके पृ० ५३से उद्धृत । २५० : तीर्थंकर महावीर और उनकी बाचार्य-परम्परा