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________________ रक्षा करता है | मोहनवश्य, स्त्री-आकर्षण, सेनस्तम्भन जिह्वास्तम्भन, क्रोधस्तम्भन आदिका भी वर्णन आया है। आवेष्टनमन्त्र के पश्चात् विभिन्न प्रकारके यन्त्र बनानेकी प्रक्रियाका वर्णन आया है । यन्त्र-मन्त्रकी दृष्टिसे यह परिच्छेद महत्वपूर्ण है । सप्तम परिच्छेद में ५१ पद्म हैं । शरपुंखी, सहदेवी, तुलसी, कस्तूरी, कर्पूर गोरोचन, गजमद, मनःशिला, दमनक, जातिपुष्प, अमीपुष्प और हरिकांता को समभाग लेकर तिलक करनेसे सभी लोग कामें होते हैं। इसी प्रकार इलायची, लौंग, चन्दन, लगर, कमल, कूट, कुकुम, उशीर, गौरोचन, नागकेशर, मनशिल, राजिका, हिक्का, तुलसी और पद्मास्त्रको समभाग लेकर पुष्य नक्षत्र में कन्यासे पिसवाये । इसका अंजन करनेसे सभीको पराजित किया जा सकता है । बशीकरण और सुखदायक अंजनोंकी और भी कई विधियां वर्णित हैं। वशीकरण दशरारिक अंजन एवं वश्यप्रयोग भी आये हैं। वश्यनमक, वश्यतैल, कामवारण, चूर्णं, योनिशोधक लेप एवं सन्तानदायक औषधिका वर्णन आया है । अष्टम परिच्छेद २५ पद्य हैं । इस प्रकरणमें देबीकी पूजाविधिका कथन आया है । सर्वप्रथम स्नानविधि, अंजनविधि, तिलकविधि एवं देवीकी आरधनाकी विभिन्न विधियाँ अंकित हैं । ज्वालामालिनी देवोकी पूजाविधि और पूजाफल भी वर्णित है । वसुधारमन्त्र, नवग्रहमन्त्र एवं विभिन्न अनुष्ठेय मन्त्रोंका कथन भी किया गया है। नवम परिच्छेद २५ पद्य हैं और नीराजनविधि गित है नीराजन द्रव्यके साथ मातृकान एवं समन्त्र विभिन्न द्रव्यांसे देवीकी आरती और पूजाकी विधि आयी है । दशम परिच्छेदमें २० पद्योंमें शिष्यको विद्या देनेकी विधिके निरूपणके पश्चात् चन्द्रनाथपूजा, ज्वालामालिनीपूजा, हवन और जार्याविधि, ज्वालमालिनीस्तोत्र, मूलमन्त्र, मन्त्रोद्धार, वशीकरणमन्त्र, ज्वालामालिनी देवीके साधनकी तृतीय विधि, ध्यानमन्त्र, पञ्चोपचार मन्त्र, कौमारी देवी, वैष्णवोदेवी वाराहीदेवी, ऐन्द्रीदेवी चामुण्डादेवी, एवं महालक्ष्मीदेवीकी पूजनविधि वर्णित है । गद्यमय ज्वालमालिनीस्तोत्र और चन्द्रप्रभस्तवनके अनन्तर ग्रन्थ समाप्त हुआ है । चन्द्रप्रभस्तोत्रमें शौरसेनी, मागधी, अपभ्रंश, पेशाची, चूलिका पैशाची और संस्कृतका एक साथ प्रयोग किया गया है। शौरसेनी -- विगद दुह देहु मोहारि केदूदयं, ददि गुरु दुरिद मध विहिद कुमुदक्स्वयं । प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य : १८३ 1
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
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