SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मन्दिने अपनी इस कृतिमें यशस्तिलकके उपासकाध्ययनका पर्याप्त उपयोग किया है । यशस्तिलकका समाप्तिकाल शक संवत् ८८१ (ई० ९५९) है । अतएव आचार्य पद्मनन्दि द्वितीयका समय ई० सन् २५९ के बाद होना चाहिये । यह निश्चय है कि पद्मनन्दिपर अमृतचन्द्रसूरि और अमितगति इन दोनोंका पूर्ण प्रभाव है। पद्मनन्दिने “निश्चयपञ्चाशत' प्रकरणमें व्यवहार और शुद्ध नयोंकी उपयोगिताको दिखलाते हुए शुद्धनयके आश्रयसे आत्मतत्त्वके वर्णन करनेकी इच्छा प्रकट की है व्यवहृतिरबोधजनबोधनाय कर्मक्षयाय शुद्धनयः । स्वार्थं मुमुक्षुरहमिति गरे लदाश्रित मात्॥ पद्मनन्दिने व्यवहारको अबोधजनोंको प्रतिबोधित करनेका साधनमात्र बतलाया है। इसका आधार अमृतचन्द्रसूरि विरचित पुरुषार्थसिद्धयुपायका निम्नलिखित गद्य है अबुधस्य बोधनार्थं मुनीश्वरा देशयन्त्यभूतार्थम् । व्यवहारमेव केवलमवैति यस्तस्त्र देशना नास्ति। अमृतचन्द्रके शब्द और अर्थका प्रभाव उपर्युक्त पद्यपर है। अमृतचन्द्रसूरिका समय वि० सं० ११वीं शती है । अतएव पद्मनन्दिका समय इसके पश्चात् हो होना चाहिये। पद्मनन्दिकी पञ्चविंशतिपर अमितगतिके श्रावकाचारका भी प्रभाव है। यहाँ उदाहरणार्थ कुछ पद्य उद्धृत किये जाते हैं विनयश्च यथायोग्यं कर्तव्यः परमेष्ठिषु । दृष्टिबोधचरित्रेषु तद्वत्सु समयाश्रितैः ।। दर्शनशानचारित्रतपःप्रमृति सिध्यति । विनयेनेति तं तेन मोक्षद्वार प्रचक्षते ॥ धावकोंको जिनागमके आश्रित होकर अहंदादि पञ्चपरमेष्ठियों, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यकचारित्र तथा इन सम्यग्दर्शनादिको धारण करने वाले जीवोंकी भी यथायोग्य विनय करनी चाहिए। उस विनयके द्वारा सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यकचारित्र और तप आदिकी सिद्धि होती है, अतएव इसे मोक्षका द्वार कहा गया है। १. पद्मनन्दि-पञ्चविंशति, सोलापुर संस्करण, श्लोक ११३८ । २. पुरुषार्थसिद्धघु पाय, पद्य ६ । ३. पमनन्दि-पञ्चविंशति ६।२९-३० । १२८ : तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा
SR No.090509
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages466
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy