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उपसंहार महावीर : व्यक्तित्व-विश्लेषण
कांचन काया __ सात हाथ उन्नत शरीर, दिव्य काञ्चन आभा, आजानबाहु, समचतुरस्रसंस्थान, वज्रवृषभनाराचसंहनन आदिसे युक्त तीर्थकर महावीर तन और मन दोनोंसे ही अद्भुत सुन्दर थे । उनको लावण्य-छटा मनुष्योंको ही नहीं, देव, पशुपक्षी एव कीट-पतंगको भी सहजमें अपनी ओर आकृष्ट करतो यो। देवेन्द्र भी उनके दिव्य तेजसे आकृष्ट हो चरण-वन्दनके लिये आते, अणत मनुष्यसामन्तोंकी तो बात ही क्या।
उनके व्यक्तित्वको लोक-कल्याणकी भावनाने सजाया था, संवारा था । वे अपने भीतर विद्यमान शक्तिका स्फोटन कर प्रतिकूल कण्टकाकीर्ण मार्गको पुष्पावकीर्ण बनानेके लिये सचेष्ट थे। महावीर ऐसे नद थे, जो चट्टानोंका भेदन
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