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रस हैं। सुगंध और दुर्गध दो प्रकारके गंध हैं । कठिन, मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण; स्निग्ध और रूक्ष ये आठ स्पर्श हैं।
पुद्गलको परमाणु अवस्था-स्वाभाविक पर्याय है और स्कन्ध-अवस्था विभाव-पर्याय है। पुगलके भेद
पुद्गलके (१) स्कन्ध, (२) स्कम्घदेश, (३) स्कन्धप्रदेश और (४) परमाणु ये चार विभाग हैं । अनन्तानन्त परमाणओंसे स्कन्ध बनता है, उससे आधा स्कंध देश और स्कंघदेशका आधा स्कंधप्रदेश होता है । परमाणु सर्वतः अविभागी होता है । शरीर, इन्द्रियाँ, मन, इन्द्रियोंके विषय और श्वासोच्छ्वास आदि सब कुछ पुद्गलद्रव्यके ही विविध परिणाम है । स्कन्धो भेद
अपने परिणमनको अपेक्षा पुदगल स्कन्धोंके छ: भेद हैं! स्कम्य दोसे अधिक परमाणुओंके संश्लेषसे बनता है। व्यणुक आदि स्कन्ध परमाणुओं के संश्लेषसे भी बनते हैं तथा विविध स्कन्धोंके संश्लेषसे भी । अन्त्य स्कंधके अतिरिक्त शेष सभी स्कंध परस्पर कार्यरूप भी हैं और कारणरूप भी । जिन स्कंधोंसे बनते हैं उनके कार्य हैं और जिन्हें बनाते हैं, उनके कारण भी।
१. बादर-बादर-स्थल स्थूल:-जो स्कन्ध छिन्न-भिन्न होनेपर स्वयं न मिल सकें, वे लकड़ी, पत्थर, पर्वत, पृथ्वी आदि बादर-बादर हैं । ऐसे ठोस पदार्थ जिनका आकार, प्रमाण और घनफल नहीं बदलता, बादर-बादर कहलाते हैं।
२. बाबर-स्थूल-जो स्कन्ध छिन्न-भिन्न होनेपर स्वयं आपसमें मिल जायें, वे बादर-स्थूल स्कन्ध हैं । यथा- दूध, घी, जल, तेल आदि द्रवपदार्थ, जिनका केवल आकार बदलता है, घनफल नहीं, वे बादर कहलाते हैं।
३. बादर-सूक्ष्म-स्थूल सूक्ष्म - जो स्कन्ध देखने में स्थूल हों, पर जिनका छेदन, भेदन और ग्रहण न किया जा सके, वे बादर-सूक्ष्म कहलाते हैं। यथा छाया, प्रकाश, अन्धकार आदि | आशय यह है कि जो केवल नेत्र इन्द्रियसे गृहीत हो सक और जिनका आकार भी बने, किन्तु पकड़में न आवें, वे बादरसूक्ष्म पुद्गल कहलाते हैं।
४. सूक्ष्म-बाबर-सूक्ष्म-स्थूल---जो सूक्ष्म होनेपर भी स्थूलरूपमें दिखलायो पड़ें, ऐसे पाँचों इन्द्रियोंके विषय-स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण और शब्द सूक्ष्म-बादर स्कन्ध हैं । जैसे ताप, ध्वनि आदि कर्जाएँ ।
तीर्थकर महावीर और उनको देशना : ३५१