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________________ इस प्रकार विचार-विनियम करते हुए राजा जितशत्रुने तीर्थंकर महावीरको शरण स्वीकार की और श्रावकके नत ग्रहण किये ।' करकण्ड जन्म और वीक्षा तीसरी बार जब महावीरका समवशरण चम्पा में पहुंचा, तो उस समय इस नगरीके राजा दधिवाहन अपने पुत्र करकण्डुको राज्य देकर दीक्षित हो गये। बताया जाता है कि दधिवाहनकी पत्नीका नाम पद्मावती था। यह वैशालीके महाराज चेटककी पुत्री थी। दधिवाहनकी दूसरी पत्नीका नाम धारिणी था। पद्मावती जब गर्भवती हुई, तो उस समय गर्भके प्रभावसे उसे यह दोहद हुभा"मैं पुरुषवेश धारणकर, हाथ पर चढ़े और राजा मेरे मस्तकपर छत्र लगाये। मन्द-मन्द वर्षा हो । इस प्रकार मैं आराम आदिका परिभ्रमण करूं।" रानी लजावश अपने इस दोहदकी चर्चा किसीसे न कह सकी। फलतः वह दिनानुदिन कृषकाय होने लगी । एक दिन राजाने बड़े आग्रहके साथ उससे पूछा, तो रानीने अपने मनको बात कह दी । दधिवाहनने कृत्रिम वर्षाकी योजना को और रानीको हाथीपर बैठाकर, उसके मस्तकपर छत्र लगा सेनाके साथ नगरसे बाहर निकला। वर्षा बारम्भ को । मन्द-मन्द फुहार पड़ रही थी और शीतल हवा चल रही थी। अतः हाथीको विन्ध्य-क्षेत्रको अपनी जन्मभूमिका स्मरण हो आया और वह वनकी ओर भागा । सैनिकोंने रोकनेकी चेष्टा की, पर निष्फल रहे। हाथी वनकी ओर भागा जा रहा था कि राजाको एक वटवृक्ष दिखलायो पड़ा । राजाने रानीसे कहा-"सामने वटवृक्ष आ रहा है, जब हाथी वहाँ पहुंचे, तो तुम उसकी शाखा पकड़ लेना।" हाथी वृक्षके नीचेसे निकला। राजाने तो वृक्षको डाल पकड़ ली, पर रानी उसे पकड़ने में चूक गयी। १. (अ) तेणं कालेणं तेणं समएणे बंपा नाम नगरी होत्था । जियसत्तू राया। --उबासगदसाओ, ( पी० एल० वंद्य सम्पादित), १० २२. (मा) चम्पा नाम नयरी"जियसस नाम राया। -नायाधम्मकहाओ, अध्ययन १२, पृ० १३५ ( एन वी वंद्य ) सम्मादित. २. चंपाए नयरीए दहिवाहणो राया । सस्य चेडग-धूया पउमावई देवी । अन्नया य तीसे दोहलो जालो । किहाहं राय-नेवत्येण नेवत्थिया महाराया-परीय-छत्ता 1 उजाणकाणणाणि हस्थि-संध-वर गया विहरेज्जा । सा ओलुग्गा जाया । राणा पुच्छिया । कहियो सम्भावो। ताह राणा साय जयहत्पिम्मि आबाई। उत्तराध्ययन सुखबोष-टीका, करकण्डफषा ! तीर्थकर महावीर और उनकी देशना : २४७
SR No.090507
Book TitleTirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherShantisagar Chhani Granthamala
Publication Year
Total Pages654
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size14 MB
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