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करेगा । निम्बसार बौद्धधर्मानुयायी था। किन्तु चेतनाके साथ विवाह करनेके लिए वह छलसे जैन धर्मानुयायी बन गया । फलतः 'चेटकने चेलनाका विधाह विम्बसार के साथ ई०पू० ५५८ में कर दिया ।
जब चलता राजगृह में आयी तो बिम्बसारको जैनधर्मद्वेषी और बौद्धधर्मका अनुयायी शालकर उसे आन्तरिक वेदना हुई। वह सोचने लगी- "वह नारी क्या, जो अपने जावन-साथीको अनुकूल नहीं बना सकती ? जो कार्य अस्त्रशस्त्रोंसे सम्पन्न नहीं होते, वे बुद्धिद्वारा सम्पन्न हो जाते हैं । मैं अपनी सेवा, त्याग और तपश्चर्या द्वारा बिम्बसारके हृदयको परिवर्तित कर दूंगी।"
चेलनासे ई० पू० ५५७ मार्चमें अजातशत्रु या कुणिकका जन्म हुआ। वह बड़ा तेजस्वी और प्रतापी था। बड़ा होनेपर ई० पू० ५३५ में वह चम्पाका शासक नियुक्त हुआ और षड्यन्त्रद्वारा श्रेणिकको बन्दीगृहमें बन्दी बनाकर ई० पू० ५२६-५०३ में मगधका शासक बना |
श्रेणिक : मिथ्यात्व तिमिरका ध्वंस : सम्यक्त्वका प्रकाश
बिम्बसारको बौद्धधर्मका अहंकार था और वह जैन साधुओं को कष्ट पहुँचानेमें आनन्दका अनुभव करता था। एक दिन पाँच सौ शिकारी कुत्तोंको लेकर एक वनमें आखेटके लिए गया । वहाँ उसे एक साधु ध्यान-संलग्न दिखाई पड़ा । वह जैन साधु थे और नाम था यमघर । बिम्बसारके मनमें जैन साधुओं के प्रति पहलेसे ही द्वेषाग्नि प्रज्वलित थी । यमधरको देखते ही उसका क्रोध बढ़ गया । उसने अपने सभी कुत्तोंको संकेत किया और वे यमधरकी ओर झपटे। पर यमवर वीतराग थे, उन्हें किसीसे राग-द्वेष क्या ? वे अपने कर्मावरणको तोड़तेमें सचेष्ट थे । उनको वीतरागताकी साधना उत्तरोत्तर बढ़ती जाती थी । वे गम्भीरतापूर्वक अपने आत्म-निरीक्षण में रत थे !
शिकारी कुत्तोंके झपटने पर भी वह अपने स्थानपर हिमालयकी भाँति अडिग थे । उनके ऊपर न किसीका भय था और न आतंक हो । निर्भय होकर ध्यान में लीन थे । महान् आश्चर्यकी घटना घटित हुई कि शिकारी कुत्ते यमधर के पास पहुँचकर पूँछ हिला-हिलाकर धरतीपर लोटने लगे । यमधरकी अहिंसा और क्षमाशीलता के समक्ष शिकारी कुत्ते भी सरल सीधे हो गये । उनके हृदय में विषके स्थानपर अमृत उत्पन्न हो गया। वे अपनी खूंखारतर भूल गये तथा मुनिके चरणों में नतमस्तक हो गये ।
बिम्बसार ने इस घटनाको विस्मयकी दृष्टिसे देखा, पर क्षमा और शांति के स्थानपर उसके हृदय में मुनिराजके प्रति द्वेषाग्नि और अधिक उद्दीप्त हो गयी । वह मन ही मन सोचने लगा कि यह साधु अवश्य ही मायावी है। इसने मांगा करके
तीर्थंकर महावीर और उनकी देशना : २०७