________________
गाथा : ८१ ] पंचमो महाहियारो
[ २३ यण-संड-णाम-जुत्ता', वेतर - देवा वसंति एवेसु ।
मणिमय-पासादेसु, बहुविह-परिवार-परियरिया ।।।।
प्रथं-इन मणिमय प्रासादोंमें वन-खण्डोंके नामोंसे संयुक्त प्यन्तर देव बहुत प्रकारके परिवारसे व्याप्त होकर रहते हैं ।। ८१ ।।
नोट-नदीश्वरद्वीपको चारों दिशा सम्बन्धी ५२ जिनालयोंका चित्रण इसप्रकार है
लन्दी
HD व र
ACHHETRA
१. २. ब. क. ज. जुत्तो।