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________________ [१०] मुद्रित प्रति की। कन्नड़ प्रति से । महाधिकार मुद्रित प्रति का गद्य के अक्षरों की| अधिकप्राप्त । गाथा संख्या गाथा संख्या | गाथा संख्या । कुल योग २८३ ३७७ ३६७ ३८३ प्रथम महाधिकार द्वितीय तृतीय ॥ चतुर्थ ॥ २४२ २९५१ १०७ ३११३ पंचम ७४८ १०७१ पष्ठ १०६ सप्तम ७२३ 4 प्रष्टम् नयम ७७ ५६६६ । १०६ | ११०७ ६८८२ आचार्य श्री को प्रतिज्ञानुसार ( ८०००-६८८२) १११८ गाथाएं कम है, किन्तु यदि अंकसंदृष्टियों के अंकों के अक्षर बनाकर गिने जानें तो कुल गाथाएं ८००० ही हो जायेंगी। गाथाओं के इस प्रमाण से प्रक्षिप्त गाथाओं की भ्रान्ति का निराकरण हो जाता है। ___कन्नड़ प्रति से प्राप्त नवीन गाथाओं का सामान्य परिचय ५वां महाधिकार- पाथा १७८ है, जो भगवान के जन्म के समय चारों दिशाओं को निर्मल करने वाली चार दिक्क्रन्यानों के नाम दर्शाती है । गाथा १७ है, जो गोपुर प्रासादों की सत्रह भूमियों को प्रदर्शित करती है । ७वां महाधिकार-गाथा २४२ है, यह सूर्य की १८४ वीथियां प्राप्त करने का नियम दर्शाती है । गाथा २७७ है, जो केसुदेव के कार्य { सूर्य ग्रहण को) प्रदर्शित करती है। गाथा ५०८ है, जो एक मुहूर्त में नक्षत्र के १८३५ गगनखण्डों पर गमन और उसी एक मुहूर्त में चन्द्र द्वारा १७६८ ग० ख. पर गमन का विधान दर्शाती है । गापा ५३५ है, जो सूर्य के प्रयनों में चतुर्थ भोर पंचम आवृत्ति
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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