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________________ [ग] पृ० सं० २२९ २३४ २३५ प्रभ, कान्त, पावर्त एवंविह वर्ष, पल्य शेष में २४३ २४३ सफेद फुरंत २५६ २५८ २६८ घोड़े पंक्ति सं० प्रशुद्ध प्रभ कान्त, मावर्त ३ एवं विह ३ वर्ष पल्य शष में अक बिम्बों सफद फरत तालिका३पंक्ति घोड़ ११ स ३५ साट जुदै ससि-बिंबा 1 की परिधि के प्रमाण) (गाथार्थ) १३ कुछ अधिक पैंतालीस हजार पचहत्तर योजन है ।।२३१।। गाथा......."आया मुहूत १० ५३२३१ जीव की य गगनखण्ड ज्यष्ठा के २३ बिबारिंग फेलिसा, ततोरिणय..." २९३ २९५ २१९ ३२४ सद्वि-जुदं ससि-बिवा इसे निरस्त समझे। पचहत्तर योजन अधिक पैंतालीस हजार है ।।२३१॥ इस पंक्ति को निरस्त समझे। मुहूर्त ५३२३१ उपर जीवा की ये गगनखण्ड ज्येष्ठा के बिबारिण फेलित्ता, तत्तोणिय रवि संख अद्धणं ।।५७६।। १४००००० यो पल्यके अर्धच्छेद असंख्यात देने पर मते ३८१ ४०८ ४२७ १४००००० पत्यक अर्धच्छेद असंख्यात देनपर भण्ाते ४७१
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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