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________________ गाथा । ५३६ - ५४० ] अम महाहियारो इन्द्र के परिवार देवोंकी देत्रियोंको अग्यु - पडिइंदाणं सामाणियाण तेत्तीस सुर-वराणं पि देवोण होदि श्राऊ, रिपबिंद- देवीरण श्राउ - समो ।।५३६ ।। अर्थ - प्रतीन्द्र, सामानिक और त्रास्त्रिश देवोंकी देवियोंकी प्रायु अपने-अपने इन्द्रोंकी देवियोंकी आयु के सहश होती है ।। ५३६ ।। सबक- दिगिवे सोमे, जमे च देवीण आउ - परिमाणं । चउ - भजिद - पंच - पल्ला, किचूण-दिवड वरुणम्मि ।।५३७ ॥ ५।३। अर्थ- सौधर्म इन्द्र के दिक्पालों में सोम एवं यमकी देवियोंकी श्रायुका प्रमाण चारसे भाजित पाँच (३) पल्य तथा वरुणकी देवियोंकी आयुका प्रभारण कुछ कम डेढ़ (३) पल्य है ।। ५३७ ।। पलिदोषमं विवङ्ग होदि कुबेरम्मि सक्क - विप्पाले' | तेत्तियमेवा दिगिद - सामंत - देवीरणं ॥ ५३८ ॥ ● श्राऊ, [ ५७३ अर्थ- सौधर्म इन्द्रके कुबेर दिक्पालकी देवियोंकी आयु डेढ़ पत्य तथा लोकपालोंके सामन्तोंकी देवियोंकी आयु भी इतनी ही होती है ।। ५३८ ।। पदित्ति वयस्स य, दिगिद-वेवीण भाउ परिमाणं । एक्केक्क-पहल-बड्डी सेसेसु दवणवे ।।५३६।। अर्थ---शेष दक्षिण इन्द्रोंमें प्रतीन्द्र आदिक तीन और लोकपालोंकी देवियोंकी प्रायुका प्रमाण एक-एक पल्य अधिक है ।। ५३९ ॥ ईसाण - दिगिदाणं, जम- सोम-धणेस- देवीसु" । पुह पुह दिवड - पल्लं श्राऊ वरुणस्स प्रविरितं ॥ ५४० ॥ 1 ३।३।३।३। अर्थ - ईशान इन्द्र के लोकपालों में यम, सोम और कुबेरकी देवियोंकी आयु पृथक्-पृथक् डेढ़-डेढ़ पल्य तथा वरुण की देवियोंकी आयु इससे अधिक है। अर्थात् यमको देवियोंकी १३ पल्य, सोमकी देवियोंकी १३ पस्य, कुबेरकी देवियों की १३ पश्य और वरुणकी देवियोंकी आयु कुछ अधिक १३ पल्य है ।। १. द. न. क ज ठ ठाणी ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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