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तिलोयपण्पत्ती
[ गाथा : ३६८-३६९ एवाइ जोयणाई, गोउर-दाराण होइ उच्छेहो ।
सोहम्म :: पहुचीसु, पुन्बोदिद - सप्त - ठाणे ॥३६८।। मर्थ-सौधर्मादि पूर्वोक्त सात स्थानोंमें गोपुर-द्वारोंका उत्सेध क्रमश: चार सौ, तीन सी, दो सौ, एक सौ साठ, एक सौ चालीस, एक सौ बीस और एक सौ योजन प्रमाण है ।।३६७-३६८।।
एक्क-सय-णउदि-सीवी-सत्तरि-पण्णास-चाल-तीस-कमा । जोयणया वित्थारो, गोउर - बाराण पक्कं ॥३६॥
१०० । ९० । ६० । ७० १५० १ ४० । ३०। । अर्थ-उपर्युक्त स्थानों में गोपुर-दारों से प्रत्येकका विस्तार क्रमशः एकसौ, नब्बे, अस्सी, सत्तर, पचास, चालीस और तीस योजन प्रमाण है ॥३६६।।
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