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तिलोय पण्णत्ती
[ गाया : ३३१-३३२
अर्थ -सात प्रतीकों के प्रभुओंके पृथक्-पृथक् छह सौ ( ६०० ) और प्रत्येक प्रतीकदेव के दो सौ ( २०० ) देवियाँ होती हैं ||३३० ||
जाम्रो पइणयाणं, श्रभियोग-सुराण किविभसारखं च ।
देवीओ ताण संखा, उवएसो संपद पणट्टी ॥ ३३१ ॥
अर्थ - प्रकीर्णक, आभियोग्य देव और किल्विषक देवोंकी जो देवियाँ हैं उनकी संख्याका उपदेवा इससमय नष्ट हो गया है ||३३१||
तरक्ख-प्पहूदीणं, पुह पुह एक्केषक जेदु देवीश्रो
एatest बल्लहिया, विविहालंकार - कंतिल्ला ||३३२ ॥ धर्म-तनुरक्षक आदि देवोंके पृथक्-पृथक् विविध प्रलङ्कारोंसे शोभायमान एक-एक ज्येष्ठ देवी और एक-एक वक्लभा होती है ||३३२॥
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