________________
४८४ ]
तिलोय पण्णत्ती
छत्तीसुत्तर-छ-सया, णवणउदि सहस्सयापि तिय-लक्खा । एवाणि ब्रम्ह कप्पे, होंति पइण्णय विमारणारं ॥ १७३ ॥
·
1 गाया : १७३ - १७६
३९९६३६ ।
अर्थ - ब्रह्मकरूपमें तीन लाख निन्यानबे हजार छह सौ छत्तीस ( ३६९६३६ ) प्रकीर्णक विमान हैं ।। १७३ ||
उणवण्ण-सहस्सा अड-सयाणि बादाल तारिण लंतबए ।
वणवाल - सहरसा पत्र-सयाणि सगवीस महसुषके ।। १७४।।
४९८४२ । ३६६२७ ।
अर्थ-लान्तव करूपमें उनंचास हजार आठ सौ बयालीस (४१८४२ ) और महाशुक्र में उनतालीस हजार नौ सौ सत्ताईस ( ३९९२७ ) प्रकीर्णक विमान हैं ।। १७४ ।।
उपससिया इगितीस उत्तरा होंति से सहस्सारे ।
सत्तर- जुद-ति-सयाणि, कप्प-चउनके पहण्या सेसे ।। १७५ ।।
५१३१ । ३७०।
अर्थ-वे प्रकीर्णक विमान सहस्रार कल्पमें पांच हजार नौ सो इकतीस ( ५९३१ ) और शेष चार कल्पों में तीन सौ सत्तर ( ३७० ) हैं ॥ १७५ ॥
ग्रह हेट्टिम - गेवेज्जे, ण होंति तेसि पहष्णय विमाणा ।
बसीसं मज्झिल्ले, उबरिमए होंति भावण्णा ॥ १७६ ॥
० । ३२ । ५२ ।
अर्थ — अवस्तन ग्रंवेयक में उनके प्रकीर्णक विमान नहीं हैं। मध्यम वेयकमें बत्तीस (३२) और उपरिम बेयकमें बावन (५२ ) प्रकीर्णेक विमान हैं ।। १७६ ॥
( गाथा १६६ और १७६ से सम्बन्धित चित्र इसप्रकार है )
[ चित्र अगले पृष्ठ पर देखिए ]