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१५.६
[ ५२ ] विषय गाथा पृ० सं० । विषय
गाथा पृ० सं० साधारण सूक्ष्म पर्याप्त अपर्याप्त जीवों
तियंचों को यह उत्कृष्ट आयु कहाका प्रमाण
१५२
कहा और कब प्राप्त होती है। २८६।१६७ प्रत्येक शरीर वनस्पतिविजाबाके
कर्मभूमिज सियंचों को जन्म आयु २८८।१६७ भेद प्रभेद
१५२ भोग भूमिज तिर्यचों की आयु । २८॥१६७ बादर निगोद प्रतिष्ठित अप्रतिष्ठित पर्याप्त
. तिथंच आयु के बन्धकमाव २९३-२९४।१६८ जीवों का प्रमाण
१७. सियंत्रों की उत्पसि योग्य योनियो २९५-२१९१६९ मादर निगौद प्रतिष्ठित अप्रतिष्ठित
११ तिबंधों में सुख पुःख की परिकल्पना ३००1१५० अपर्याप्त जीव राषि
१२. तियचों के गुणस्थानों का कपन ३०१-३०९।१७० त्रस जीवों का प्रमाण प्राप्त करने की विधि १५५
१३.तिपंचों में सम्यवस्वग्रहणके कारण १०.३११९७२ तीन्द्रिय जीवों का प्रमाण
१४ लियंघबीबों की गति भागति ३१२.३१६१७२ से इन्द्रिय जीवराशि का प्रमाण
५५ तिथंच जीवों के प्रमाग का चौंतीस पयो में चार इन्द्रिय जीवों का प्रमाण
१५८ अस्प बहुत
पृ. १७३-१७७ पंचेन्द्रिय जीवराशि का प्रमाण
१६ तिर्यों को आवश्यकता (३१७-३२२) सामान्य तीन्द्रियादि बीवों का प्रमाण
सर्व जयम्य अवगाहना का स्वामी ३१.१७७ पर्याप्त प्रस जोषों का प्रमाण प्राप्त
सर्वोत्कृष्ट अवगाहना का प्रमाण ३१।१७७ करने की विधि
एकेन्द्रिय से पंचेन्द्रिय पर्यन्त उत्कृष्ट अवगाहना पर्याप्त तीन इन्टिय जीवों का प्रमाण
का प्रमाण
२१९/१७८ पर्याप्त दो इन्द्रिय जीवों का प्रमाण
पर्याप्त स जीवों में जघन्य अवगाहना के पति पचेन्द्रिय जीवों का प्रमाण
स्वामी
३२०११७८ पर्याप्त चार इन्द्रिय जीवों का प्रमाण १६२
अवगाहना के विकल्पों का क्रम पृ० १७८ अपर्याप्त वीस्ट्रियाधि जीवों का प्रमाण
श्रीन्द्रिय जीव ( गोम्टी ) की उत्कृष्ट तिमंच असंको पर्याप्त जीवों का प्रमाण
अवगाहना तिथंच संझी पञ्चेन्द्रिय पर्याप्त अपर्याप्त
चतुरिन्द्रिय जीव ( श्रमर ) की उत्कृष्ट जीवराशि का प्रमान
प्रवगाहना *.मासु ( २८६-२९२)
वीन्द्रिय जीव (शंख) को उस्कृष्ट पवगाहना २०५ स्थावर जीवों की उत्कृष्टायु
२८॥१६६
बावर ब. का. प्रत्येक शरीर नि, प. कमल की विकलेन्द्रियों और सरीसपों की
उत्कृष्ट प्रवगाहना
२०७ उत्कुष्टायु
पंचेन्द्रिय जीव (महामस्स्य) को सर्वोत्कृष्ट पक्षियों, सम और शेष नियंचों की
अवगाहना
२०६ उत्कुष्टायु २८५।१६६ । अधिकाराम्त मंगल
३२३१२१४
१६.
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