________________
विषयानुक्रम
५२
मा३
विषय गापा, पृ० सं० । विषय
पाथा/पृ० सं० पंचम महाधिकार
आदि के नवद्वीप समुद्रों के अधिपति देव ३७१३ ( गाथा १-३२३, पृ० १-२१४)
शशेष द्वीप समूहों के अधिपति देव ४८।१५ मंगलाचरण
११
देवों की आयु एवं सेवादि तिर्यम्सोक प्रज्ञप्ति में १६ अन्तराधिकारों
नम्बीश्वरी की स्थिति एवं व्यास ५२०१५ का निर्देश
।१ नन्दीश्वर द्वीप की बाह्य सूची का प्रमाण ५४११६ १.स्थायरलोक का लक्षण एवं प्रमाण
अभ्यन्सर और बाल परिधि का प्रमाण ५५७ २.तिर्यग्लोकका प्रमाण
६२ अंजनगिरि पर्वतों का कथन
५७.१७ ३.होपों एवसागरों की संख्या ७.३ चार ग्रहों का कयन
६०।१४ ४. विन्यास (-२४२)
पूर्व दिशागत पापिकाये
६२०१८ द्वीप समुद्रों की अस्थिति
वापिकाओं के बनक्षत मादि अन्त के द्वीप समुद्रों के नाम १११३ दधिमुख पर्वत
५५।१९ आभ्यन्तर भाग में स्थित शीप समूहों के नाम १३१४ रतिकर पर्वत
६७.१९ बाह्यभाम में स्थित द्वीप समुद्रों के नाम २२१५ प्रत्येक दिशा में १३-१३ जिनालय ७०/२० समस्त द्वीप समुद्रों का प्रमाण
२७१६ दक्षिण, पपिचम और उत्तर दिशा की समुद्रों के नामों का निर्देश
२०१६ वापिकायें
७५॥२१ समुद्रस्थित अल के स्वाद का निर्देश २९७ घनों में अवस्थित प्रासाद मौर उनमें समुद्रों में जलचर जीवों के सद्भाव और
रहने वाले देव
७७२२ अभाव का दिग्दर्शन
न द्वीप में विशिष्ट पूजन काल ५३१२४ द्वीप समुद्रों का विस्तार
३२१७ विवक्षित द्वीप समुद्र का वलय व्यास
सौधर्म मादि १६ इन्द्रों का पूजन के लिये मायमन
४॥२४ प्राप्त करने की विधि
३३
भवनत्रिक वेवों का पूजा के लिये बादि, मध्य और वाघ सूची प्राप्त करने की विधि
आगमन
९८०२६ परिधि का प्रमाणु प्राप्त करने की विधि ३०११
पूजन के लिये दिशाओं का विभाजन १००।२७ द्वीप समुद्रादिकों के जम्बुद्वीप प्रमाण खण्ड
प्रत्येक दिशा में प्रत्येक इन्द्र की पूजा प्राप्त करने हेतु करण मूत्र
के लिए समय का विभाजन
१०२०२०