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________________ सत्तमो महाहिमा [ ४१५ अर्थ — लवण समुद्र में एक सौ बारह और घातकीखण्ड में तीन सौ छत्तीस नक्षत्र 1180211 गाथा । ६०२ - ६०५ ] छाहसरि-जुताई, एक्करस-सयाणि कालसलिलम्भि । सोलुत्तर दो सहस्सा, दीय बरे पोवखरद्धम्मि ||६०२ || · · नक्षत्र हैं ||६०२ ।' - ११७६ । २०१६ | श्रयं - कालोद समुद्र में ग्यारह सौ छिहत्तर और पुष्करार्धद्वीप में दो हजार सोलह विशेषा थं- - एक चन्द्र सम्बन्धी २८ नक्षत्र हैं, इसलिए ४, १२, ४२ और ७२ चन्द्र सम्बन्धी नक्षत्र क्रमशः ११२, ३३६, ११७६ और २०१६ हैं । नक्षत्रोंका शेष कथन सेसाश्रो वण्णणाश्रो, जंबूदीवम्मि जाओ रिक्खाणं । ताओ लवणे धाढइसंडे कालोब पोक्खर सु ॥ ६०३ ॥ - एवं क्वत्ताण परूवणा समता । प्रर्थ-नक्षत्रोंका शेष वर्णन जैसा जम्बूद्वीपमें किया गया है उसी प्रकार लवणसमुद्र, घातकीखण्ड द्वीप, कालोद समुद्र और पुष्करार्घद्वीपमें समझना चाहिए ।।६०३ ।। इस प्रकार नक्षत्रों की प्ररूपणा समाप्त हुई । लवण समुद्रादि चाकी ताराओंका प्रमाण दोहि चित्रय लक्खारिंग, सत्तट्ठी - सहस्स णव सर्याारिंग च । होंति हु लवणसमुद्दे, ताराणं कोडिकोडी ॥। ६०४ ॥ २६७६०००००००००००००००० | अर्थ - लवणसमुद्र में दो लाख सड़सठ हजार नौ सौ कोड़ाकोड़ी तारे हैं ।। ६०४|| अट्ठ चित्रय लक्खाणि, तिणि सहस्साणि सग-सा रंगपि । होंति ह धावइसंडे, तारार्ण कोडकोडोओ ।। ६०५ ॥ ८०३७०००००००००००००००० |
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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