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गाथा : ५६८-५६९ ] सत्तमो महाहियारो
[ ४०५ (11:२= यो०) घटाकर शेषमें अर्ध चन्द्र संख्या ( ४:२-२) का भाग देनेपर दो चन्द्रों का पारस्परिक अन्तर प्रमाण प्राप्त होता है । यथा
( Peppa° -2): २-- HEY =FREEE योजन दोनों चन्द्रोंका अन्तराल ।
धातकीखण्डस्थ चन्द्रोंका पारस्परिक अन्तर प्रमाणपंच चउ-ठाण-छक्का, अंक-कमे सग-ति-एक्क अंसा य । तिय • अट्ठक्क - विहता, अंतरमिंद्रूण घादईसंडे ।।५६८।।
६६६६५ । २३ । अर्थ-धातकीखण्डद्वीपमें चन्द्रोंके बीच पांच और चार स्थानोंमें छह इन अंकोंके क्रमसे छयासठ हजार छह सौ पैंसठ योजन और एक सौ तेरासीसे विभक्त एक सौ सैंतीस कला प्रमाण अन्तर है ।।५६८॥
विशेषार्थ-धातकीखण्डका विस्तार ४ लाख यो०, चन्द्र संख्या १२ और इनका बिम्ब विस्तार (13)= योजन है। उपयुक्त नियमानुसार दो चन्द्रोंका पारस्परिक अन्तर प्रमाण इसप्रकार है
(reap--१३): = १२५५१२ =६६६६५१४ योजन अन्तराल है।
कालोदधि-स्थित चन्द्रोंका अन्तर-प्रमाणचउरणय-गयरगट-तिया, अंक कमे सुण्ण-एक्क-बारि कला। इगि - प्रऊ - दुग - इगि - भजिवा, अंतरमिदूण कालोदे ॥५६॥
३८०१४ । १०। प्रर्थ-कालोदधि समुद्र में चन्द्रोंके बीच चार, नो, शून्य, पाठ और तीन इन अंकोंके क्रमसे अड़तीस हजार चौरानब योजन और बारह सौ इक्यासीसे भाजित चार सौ दस कला अधिक अन्तर है ॥५६६।।
विशेषार्थ-कालोदधिका वि० ८ लाख यो०, चन्द्र संख्या ४२ और इनका बिम्ब विस्तार (2x.) ११२ योजन है। उपर्युक्त नियमानुसार यहाँके दो चन्द्रोंका पारस्परिक अन्तर प्रमाण इसप्रकार है