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________________ [ ४२ ] [ ( लम्बाई )- ( मुख व्यास ) + ( मुख व्यास )*] x २ . पुनः घनफल निकालने हेतु बाहत्य-[(आयाम मुख)+यायाम ] + मुख यहाँ लम्बाई या आयाम= १२ योजन मुख=४ योजन क्षेत्रफल-७३ वर्ग योजन और बाहल्य-५ योजन इसलिए शंख क्षेत्र का धनफल =७३४५ धन योजन= ३६५ घनयोजन शंख को पूर्ण मुरजाकार नहीं माना गया मुख व्यास ४योजन है इसलिए उसमें से क्षेत्र ( टा देना चाहिये मध्यभाग-- १२ योजन ___ जो दो खंड दिख रहे हैं उनमें एक को पहरणकर क्षेत्रफल निकालना चाहिए। उपर्युक्त घटाया खंड भी आधा याने (१) हो जाता न परिधि=४x v१० =४[३+1]-४x =१२३ यो. । यो * परिधि=८ x ११०-२४३५-२४६ योजन जैन ग्रन्थों में चूकि । १० का मान ( ३ + ) दिया गया है, अथवा ¥ माना गया है जैसे V१० - VE+ ३१-१ . उपरोक्त आकृति तल को पसारते हैं ताकि वह तल समलम्ब चतुर्भुज के रूप में आजाये?
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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