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तिलोय पण्णत्ती
[ गाथा : ३०१-३०३
श्रयं - वह तापक्षेत्र अरिष्टनगरी के विभाग में करा हमार दो ग्यारह योजन और साहस भाजित पांच कला प्रमाण है ||३००।
विशेषार्थ - भरिष्ट नगरीके प्रणिधिभागकी परिधि २०६७०४३ (१¥¥24 ) ×6= ६२९११९६ योजन तापक्षेत्र है !
अट्ठासट्ठि सहस्सा, अट्ठावण्णा य जोयणा होंति । narrat कलाओ, रिट्ठपुरी- पणिधि-साव-खिदी ।। ३०१ ॥
६८०५८ । है ।
अर्थ - यह तापक्षेत्र अरिष्टपुरीके प्रणिधिभाग में अड़सठ हजार अट्ठावन योजन और एक योजनके अस्सी भागोंमेंसे इक्यावन कला अधिक रहता है ||३०१ ||
विशेषार्थ - अरिष्टपुरी के प्रस्पिधिभाग में परिधि २२६८६२१ = ( १७१६*) * ६८०५८६ योजन तापक्षेत्र ।
बाहत्तरी सहस्सा, चउस्सया जोयणाणि चणवदी । सोलस-हिव-सत्त- कला, स्वग्गपुरी- पणिषि-ताब- मही ।। ३०२ ||
७२४६४ । ६ ।
खड्गपुरी प्रणिधिभाग में ताप क्षेत्रका प्रमाण बहत्तर हजार चार सौ चौरानबे योजन और सोलह भाजित सात कला अधिक है ।। ३०२ ।।
विशेषार्थ – खड्गपुरीके प्रणिधिभाग की परिधि २४१६४८ ३ = ( १९३¥¢* }x%= ७२४९४६ योजन ताप क्षेत्र ।
प्रमाण ।
सत्तसरी सहस्सा, छच्च सया जोयणाणि इगिवालं ।
सीबि -हिदा इगिसट्ठी, कलाओ मंबुसपुरम्मि ताब-मही ॥ ३०३ ॥
७७६४१ । १७ ।
अर्थ- मंजूषपुर में ताप क्षेत्रका प्रमाण सतत्तर हजार छह सौ इकतालीस योजन और अस्सीसे भाजित इकसठ कला अधिक है ॥ ३०३ ॥
विशेषार्थ – २५८८०५६ २०५४४७ = ७७६४१६३ यो० मंजूषपुर में तापक्षेत्र का
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