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________________ ३२० ] तिलोय पण्णत्ती [ गाथा : ३०१-३०३ श्रयं - वह तापक्षेत्र अरिष्टनगरी के विभाग में करा हमार दो ग्यारह योजन और साहस भाजित पांच कला प्रमाण है ||३००। विशेषार्थ - भरिष्ट नगरीके प्रणिधिभागकी परिधि २०६७०४३ (१¥¥24 ) ×6= ६२९११९६ योजन तापक्षेत्र है ! अट्ठासट्ठि सहस्सा, अट्ठावण्णा य जोयणा होंति । narrat कलाओ, रिट्ठपुरी- पणिधि-साव-खिदी ।। ३०१ ॥ ६८०५८ । है । अर्थ - यह तापक्षेत्र अरिष्टपुरीके प्रणिधिभाग में अड़सठ हजार अट्ठावन योजन और एक योजनके अस्सी भागोंमेंसे इक्यावन कला अधिक रहता है ||३०१ || विशेषार्थ - अरिष्टपुरी के प्रस्पिधिभाग में परिधि २२६८६२१ = ( १७१६*) * ६८०५८६ योजन तापक्षेत्र । बाहत्तरी सहस्सा, चउस्सया जोयणाणि चणवदी । सोलस-हिव-सत्त- कला, स्वग्गपुरी- पणिषि-ताब- मही ।। ३०२ || ७२४६४ । ६ । खड्गपुरी प्रणिधिभाग में ताप क्षेत्रका प्रमाण बहत्तर हजार चार सौ चौरानबे योजन और सोलह भाजित सात कला अधिक है ।। ३०२ ।। विशेषार्थ – खड्गपुरीके प्रणिधिभाग की परिधि २४१६४८ ३ = ( १९३¥¢* }x%= ७२४९४६ योजन ताप क्षेत्र । प्रमाण । सत्तसरी सहस्सा, छच्च सया जोयणाणि इगिवालं । सीबि -हिदा इगिसट्ठी, कलाओ मंबुसपुरम्मि ताब-मही ॥ ३०३ ॥ ७७६४१ । १७ । अर्थ- मंजूषपुर में ताप क्षेत्रका प्रमाण सतत्तर हजार छह सौ इकतालीस योजन और अस्सीसे भाजित इकसठ कला अधिक है ॥ ३०३ ॥ विशेषार्थ – २५८८०५६ २०५४४७ = ७७६४१६३ यो० मंजूषपुर में तापक्षेत्र का i |
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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