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१९८ ] तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : ३२० तको पदेसुत्तर-कमेण सत्तण्हं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चदि तवरणंतरोगाहणं श्रावलियाए असंखेज्जवि-भागेण खंडिदेग-खंड तदुरि बढ़िवो ति । ता बादर-णिगोवपदिदिद-णिव्यत्ति-अपज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणा दीसइ ।
अर्थ-पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे सात जीवोंकी मध्यम अवगाह्नाका विकल्प तब तक चलता रहता है जब तक तदनन्तर अवगाहना आवलीके असंख्यात भागसे खण्डित करनेपर एक भाग प्रमाण उसके ऊपर वृद्धिको ... नहीं हो पाती । । नारनिगो ७०) प्रतिष्ठित-नित्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।।
___ तदो पदेसुत्तर - कमेण खण्हं मज्झिमोगाहण - वियप्पं बच्चवि तदणंतरोगाहणं प्रावलियाए असंखेन्जदि-भागेण खंडिय तत्थेग-खंडं तदुवरि वढिदो ति । तादे बादरणिगोद-पदिट्टिद-णिन्वत्ति-पज्जत्तयस्स उपकस्सोगाहणा वीसइ ।।
अर्थ-पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे छह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प तब तक चालू रहता है जब तक तदनन्तर अवगाहना आवलीके प्रसंख्याता भागसे खण्डित कर उसमेंसे एक भाग प्रमाण उसके ऊपर वृद्धिको प्राप्त नहीं हो जाती । तन बादरनिगोद(७१) प्रतिष्टित-निवृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।।
तदो पदेसुत्तर - कमेण पंचण्हं जीवाणं मज्झिमोगाहण-वियष्णं बच्चवि तप्पाप्रोग्ग-असंखेज्ज-पदेसं बड्ढिदो ति। तावे बादर-वणफदिकाइय-पत्त यसरीर-णिज्यत्तिअपज्जत्तयस्स जहण्णोगाहणा दोसइ ।।
__ अर्थ-पश्चात् प्रदेशोत्तर-ऋमसे पाँच जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प उसके योग्य असंख्यात-प्रदेशोंकी वृद्धि होने तक चलता रहता है । तब बादर-बनस्पतिकायिक(७२)-प्रत्येकशरीरनिर्वृत्त्यपर्याप्त ककी जघन्य अवगाहना दिखती है ।।
तदो पदेसत्तर-कमेण छण्हं मझिमोगाहण-वियप्पं बच्चदि तपाओग्ग-असंखेज्जपदेसं यढिदो त्ति । तादे बादर-वणप्फदिकाइय-पत्तेय-सरीर-लद्धि-अपज्जत्तयस्स-उक्कस्सोगाहणा दीसह ॥
अर्थ-पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे छह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प उसके योग्य असंख्यात प्रदेशोंकी वृद्धि होने तक चलता रहता है । तब बादर वनस्पतिकायिक (७३) प्रत्येकशरीर लब्ध्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।।
तो पवेसुत्तर-कमेण पंचण्हं जीवाणं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चवि राऊण. पलिदोवमस्स असंखेजदि - भागेरण गुणिव-बादर-णिगोव-पदिद्विद-णिवत्ति-पज्जत्तयस्स