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________________ गाथा : ३२० ] पंचमो महाहियारो [१८१ तदोपदेसुत्तर-कमेण सत्तण्हं जोवारणं मज्झिमोगाहणा-वियप्पं यट्टदि जाव इमा ओगाहणामुवरि 'रूऊण-पलिदोवमस्स असंखेज्जदि-भागेण गुणिद-तदणंतरोगाहण-पमाण वढिदो त्ति | ताद बादर-पाउ-लद्धि-अपज्जत्तयस्स जहण्णोगाहणं बीसइ ।। अर्थ - पश्चात् प्रदेशोत्तर क्रमसे सात जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प चालू रहता है जब इस अवगाहनाके ऊपर एक कम पल्योपमके असंख्यातवें भागसे गुपित उस अनन्तर अवगाहना का प्रमाण बढ़ चुकता है, तब बादर जलकायिक(८) लब्ध्यपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना दिखती है ।। तदो पदेसुत्तर-कमेण अटण्हं जीवाणं मज्झिमोगाहण - वियप्पं वदि जाव तवणंतरोवगाहणा रूऊण-पलिदोवमस्स असंखेदिभागेण गुणितमेतं तरि नजिद्दो ति । तादे बावर-पुढवि-लद्धि-अपज्जत्तयस्स जहण्णोगाहणं दोसइ ।।। अर्थ--तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर क्रमसे पाठ जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प चाल रहता है। जव तदनन्तर अवगाहना एक कम पल्योपमके असंख्यातवें भागसे गुणितमात्र ( इस )के ऊपर वृद्धिको प्राप्त होती है, तब बादर पृथिवीकायिक(s) लब्ध्यपर्याप्तकको जघन्य अवगाहना दिखती है ।। तदो पदेसुत्तर-कमेण णवण्हं जोधाणं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बढदि जाव तवणंतरोगाहणा रूऊण-पलिदोवमस्स असंखेज्जविभागेण गुणिवमेत्तं तदुरि वढिदो त्ति । तादे बावर-णिगोद-जीव-लद्धि-अपज्जत्तयस्स सम्व जहण्णोगाहणा होति ।। पर्थ--तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर-कमसे उपर्युक्त नो जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प बढ़ता जाता है। जब तदनन्तर अवगाहना एक कम फ्ल्योपमके असंख्यातभागस गुरिणतमात्र (इसके ऊपर वृद्धिको प्राप्त होती है, तब बादर निगोद(१०)-लब्ध्यपर्याप्तक जीवकी सर्व जघन्य अवगाहना होती है ।। तदो पदेसुत्तर-कमेण दसण्हं जीवाणं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बढदि एविस्से ओगाहणाए उरि इमा ओगाणा रूऊण - पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागेण गुणिवमेतं बलिदो ति । तादे णिगोद-पदिट्ठिव-लद्धि-अपज्जत्तयस्स जहण्णोगाला दोसइ ॥
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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