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गाथा । २८२ ।
पंचमो महाहियारो - [(Exis) +(afxax¥)]
--3(८४७२९) + (८४४) या =
८१४८१
५६३२+३२
६५६१
-
सामान्य चार इन्द्रिय जीवोंका प्रमाण है।
पंचेन्द्रिय जीव-राशिका प्रमाणसेसेग-खंडं चउत्थ-पुजे पक्खित्ते पंचेंदिय--मिच्छाइट्ठी होति । तस्स ठवणा
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अर्थ-शेष एक खण्डको चतुर्थ पुजमें मिलानेपर पंचेन्द्रिय मिथ्यादृष्टि जीवोंका प्रमाण होता है । उनको स्थापना इसप्रकार है
विशेषार्थ-सामान्य प्रस-राशिके -- प्रमाणमें प्रावलीके असंख्यातवें भाग
(2) का भाग देनेपर प्राप्त हुए उसके एक भाग =
को जो पूर्व में अलग स्थापित
किया था उसमेंसे प्रत्येक बार अपने-अपने बहुभागको प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुञ्जमें मिला देनेके पश्चात् जो शेष बचा है उसे चतुर्थ पुज में मिला देनेपर पंचेन्द्रिय जीवोंका प्रमाण प्राप्त होता है । यथा
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