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________________ गाथा : २७१ ] ९ रा २५६ = पंचमी महाहियारो -- ( राजू है × १४०६२५) १३७१०९३७५०० । विशेषार्थ – महीन्द्रवरसमुद्रका क्षेत्रफल = प्रायाम x विस्तार ( राजू - ७३१२५० ) x ( ६ राजू + १८७५० ) - ९ (राजू) + | राजू {६ × १६७५० – ४७३१२५० } | – ७३१२५० × १८७५० =९ (राजू)*+ [ राजू× ८७ १६२६४२५ ) ] – १३७१०६३७५०० = ९ (राज)' – ( राजु × १४०६२५ ) -- १३७१०६३७५०० वर्ग यो० । स्वयम्भूरमणसमुद्रका क्षेत्रफल - == सयंमूरमण - णिष्णग-रमणस्स खेतफलं रज्जूए कदी जम-रूवेहि गुणिय सोलसरूहि भजिवमेत्तं पुणो एक्क- लक्ख-बारस- सहस्स-पंच सय जोयणेहि ( गुणिद- रज्जूए ) अम्भहियं पुणो एक्क- सहस्स- इस्सय सत्तासीदि-कोडि-पण्णास-लख-जोयणेहि परिहीणं होदि । तस्स ठवरणा । धण रज्जू ७ । ११२५०० रिण जोयणाणि १६८७५०००००० || अर्थ – स्वयम्भूरमणसमुद्रका क्षेत्रफल राजूके वर्गको नौसे गुणा करके सोलहका भाग देने पर जो लब्ध आवे उतना होकर एक लाख बारह हजार पाँचसो योजनोंसे गुणित राजूसे अधिक और एक हजार छह सौ सतासी करोड़ पचास लाख योजन कम है। उसकी स्थापना इसप्रकार है १६८७५०००००० ९. राजू 2 + ( राजू × ११२५०० यो० ) विशेषार्थ - स्वयम्भूरमणसमुद्रका क्षेत्रफल -- आयाम x विस्तार - (Sa जग० [ ११५ - २२५००० यो० ) x (जग० + ७५००० यो० ) e (जग० = 2 ( 1 ) - + जग० [(२५ × ७५०००) (X२२५०००)]- २२४०००७१००० । जग०) २८ * To ) 2 जग० + × [१६८७५० – ५६२५० ] – २२५००० ७५००० यो० । 19 =2(राज्)* + राजू × ११२५०० यो० - १६८७५०००००० वर्ग योजन ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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