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तिलोमपग्लसी
षष्ठम-पक्ष
पक्ष
अल्पबहुत्व में दो सिद्धान्त कहते हैं
(१) इच्छित द्वीप के एक दिशा सम्बन्धी विस्तारको अपेक्षा श्रग्रिम द्वीप के विस्तारमें २३ लाख कम चौगुनी वृद्धि होती है-
[ गाथा : २५५
छट्टम-पवखे अप्पबहुलं वत्तइस्सामो । तं जहा -- जंबूदीवस्स श्रद्ध-दादी धावइडस्स एय-बिस रुदं प्राहु-लक्खेण भहियं होदि ३५०००० । जंबूदीवस्स अण सम्मिलिदे धाडस एय- दिस-हं दादो पोक्थरथर दीवस्स एय दिस रुद- वड्ढी एयारसलक्ख पण्णास - सहस्स-जोयणेहि अमहियं होइ ११५०००० । एवं धावईसंड-प्पडुविछ- दीवस एय- दिस रुंद वड्ढीदो तबणंतर उवरिम- दीवस्स वड्डी चउ-गुणं अड्ढाइज्जलक्खेणूणं होण गच्छइ जाय सयंभूरमणदोश्रो ति ॥
अर्थ छटे पक्ष में अल्पबहुत्त्र कहते हैं । वह इसप्रकार है- जम्बूद्वीप के अर्ध विस्तारकी अपेक्षा घातकखण्डका एक दिशा-सम्बन्धी विस्तार साढ़े तीन लाख योजन अधिक है - ३५०००० | जम्बूद्वीप के अर्ध विस्तार सहित धातकीखण्ड के एक दिशा-सम्बन्धी विस्तारकी अपेक्षा पुष्करवरद्वीपके एक दिशा-सम्बन्धी विस्तारकी वृद्धि ग्यारह लाख पचास हजार योजन अधिक है- ११५०००० । इस प्रकार धातकीखण्ड- प्रभृति इच्छित द्वीपके एक दिशा सम्बन्धी विस्तारको अपेक्षा तदनन्तर अग्रिम ath विस्तार में ढ़ाई लाख कम चौगुनी वृद्धि स्वयम्भूरमण द्वीप तक होती चली गई है ।
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विशेषार्थ – जम्बूद्वीप के अर्ध विस्तारकी अपेक्षा धातकीखण्डका एक दिशा सम्बन्धी विस्तार ( ४ लाख यो० ३ लाख यो० ) ३३ लाख योजन अधिक है । पुनः जम्बुद्वीपके अर्ध विस्तार सहित धातकीखण्ड के एक दिशा सम्बन्धी विस्तारकी अपेक्षा पुष्करवरद्वीप के एक दिशा सम्बन्धी विस्तारकी वृद्धि ( १६ - ४३ लाख यो० ) = ११५०००० योजन है ।
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इसप्रकार घातकीखण्ड आदि इष्ट द्वीपके एक दिशा सम्बन्धी विस्तारकी अपेक्षा बाद में आगे श्रानेवाले द्वीपके विस्तारमें २३ लाख यो० कम ४ गुनी वृद्धि अन्तिम द्वीप तक चली गई है।
अस्तन द्वीपोंके एक दिशा सम्बन्धी विस्तारकी अपेक्षा स्वयम्भूरमणद्वीपके एक दिशा सम्बन्धी विस्तारकी वृद्धि
तत्थ अंतिम वियप्पं वत्तइस्सामो-- [ सयंभूरमणदीवस्स हेट्ठिम-सयल - दोषाणं एय-बिस-दसमूहाबो सयंभूरमणदीवस्स एय-विस हब बढी] चउरासोषि - रूबेहि
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