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तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : २४४- २४६
अर्थ - गोल क्षेत्रके विस्तारसे तिगुनी उसकी यादर परिधि होती है, इस परिधिको विस्तार के चतुर्थ भागसे गुणा करने पर जो राशि प्राप्त हो उतना समान गोल क्षेत्रोंका बादर क्षेत्रफल होता है || २४३ ||
उदाहरण - जम्बूद्वीपका विस्तार १००००० योजन है । १००००० × ३ -- ३००००० योजन स्थूल परिधि । ३०००००००००० = ७५०००००००० वर्ग योजन बादर क्षेत्रफल । वलयाकार क्षेत्रका प्रायाम एवं स्थूल क्षेत्रफल प्राप्त करने की विधियाँ
लवण समुद्दमादिकादूण उर्धारि वलय-सरूयेण ठिददीय- समुद्दाणं खेसफलमाणत्थं एदा वित्त गाहाश्रो
श्रर्थ - लवण समुद्रको आदि करके श्रागे वलयाकार से स्थित द्वीप-समुद्रोंका क्षेत्रफल लाने के लिए ये सूत्र - गाथाएँ है
अर्थ- इच्छित क्षेत्रके विस्तारमेंसे एक लाख कम करके शेष को नौसे गुणा करने पर इच्छित द्वीप या समुद्रका आयाम होता है । पुनः इस आयामको विस्तारसं गुणा करने पर द्वीपसमुद्रोंका क्षेत्रफल होता है ।। २४४ ।।
योजन |
लक्खणणं रुवं, णवहि गुणं इच्छियस्स आयामो ।
तं रुदेण य गुणिदं, खेत्तफलं दीव - उबहीणं ॥ २४४ ॥
उदाहरण – लवरणसमुद्रका विस्तार २ लाख यो० है ।
ल० स० का आयाम = ( २ ला०- १ ला ० ) x ९ = ९००००० योजन ।
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,, बादर क्षेत्रफल ९ ला० आयाम ४२ ला०वि० = १८०००००००००० वर्ग
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अहवा श्रादिम-मज्झिम- बाहिर- सूईण मेलिदं माणं ।
विक्खंभ हदे इच्छिय वलयाणं बावरं खेत्तं ।। २४५ ॥
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अर्थ-अथवा यदि, मध्य एवं बाह्य सूचियों के प्रमाणको मिलाकर विस्तारसे गुणित करने पर इच्छित वलयाकार क्षेत्रोंका बादर क्षेत्रफल होता है ।। २४५ ।।
उदाहरण - लवण समुद्रकी आदि सूची १ ला० यो० + मध्य सूची ३ ला ० यो० + बाह्य सूची ५ ला० यो० = १ लाख योजन । ल० स० का बादर क्षेत्रफल = ९ लाख ४२ लाख विस्तार= १८०००००००००० वर्ग योजन ।
अहवा ति गुणिय-मज्झिम-सूई जाणेज्ज इट्ठ-वलयाणं । तह य पमाणं तं चिय, संव हदे वलय खेतफलं ॥ २४६ ॥
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