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त्यो महाहियारो
वही
पाया : ३०००-३००३ ]
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अर्थ :- मनुष्यों को एकसो एम्बीस भोगभूमियों ( ३० भोगभूमियोंमें मोर ६६ कुभोगभूमियों) में केवल सुख और कर्मभूमियोंमें सुख एवं दुःख दोनों ही होते हैं ।२६६६॥
सुख-दुःखका वर्णन समाप्त हुआ ।।१३-१४।। सम्यस्व प्राप्ति कारण
के परिबोहणं, केद्र सहावेण तासु बहू
जावि भरणेण केई, केद्र जिपिदस्स महिम - सणदो । जिबिंब दंसणेणं, उवसम पहूवोरिंग के
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भूमी
सुहव केंद्र मदुस्सा बहू 'पयारं ॥। ३०००||
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रोहंति ।। ३००१ ||
सम्मतं गवं ।। १५ ।
किसने ही स्वभावसे, कितने ही कितने ही जिनेन्द्रभगवान की
पर्व :-उन भूमियों में कितने ही मनुष्य प्रतियोधनसे, बहुतप्रकारके सुख-दुःखको देखकर उत्पन्न हुए शातिस्मरण कल्याणकादिरूप महिमा के दर्शनसे और कितने ही जिनबिम्बके दर्शनसे अपशमादिक सम्यग्दर्शनको ग्रहण करते हैं ।। ३००१ ॥
सम्यक्त्वका कथन समाप्त हुआ ।।१५।।
मुक्तिगमनका अन्तर
एक्क-समर्थ जहणं, दु-ति' समय-यहूबि जाव छम्मासं ।
बर-बिरहं भर जगे, उर्जार सिम्भंति अड समए । ३००२॥
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म :- मनुष्यलोक में मुक्ति-गमनका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उस्कृष्ट भ्रन्तर दोसीम समयादिसे लेकर छह मास पर्यन्त है। इसके पश्चात् बाठ समयों में जीव सिद्धिको प्राप्त करते ही हैं ॥३००२ स
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मुक्त जीवोंका प्रमाण
पक्कं असम, बलीसडवाल सहि
यसवारे चुलसीवी मज चरिमम्मि घट्ट अहिय सयं ।। ३००३ ||
१६.... प्यारा २. प.निति । ३. ६. दुनियस । ४. द. ब. क. ज. उ. बुपे ।
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