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________________ VE ] तिमोयपन्नती । गापा : २९६४-२९६६ Pres ... ताजा RTERED एस्सि' खेत्तफले, बारस - जुत्तेहिं दो - सहि छ । पबिहरो वं ल, तं भरहलिदीए सफल २६६४॥ पर्ष :-इस (पर्वत रहित ) क्षेत्रफलमें दोसौ बारहका भाग देनेपर जो लम्ध प्राप्त हो उतना भरतक्षेत्रका क्षेत्रफल होता है ॥२९६४॥ एक्क-पटकक-पक्ष क पंच-तिय-यण-एक-अहु'बुगा । बसारि म जोषणया, पनसोदि • सय • कलामो तम्मा ॥२९६५॥ ४२८१०३५१४४१३ पर्व :-एकपार, बार, एक, पाँच, तीन, शून्य, एक, आठ, दो पौर पार, इस अंक कमसे जो संध्या उत्पन्न हो उसने ( ४२८१.३५१ ) योजन और एकसो पचासी भाग मक्षिक उस क्षेत्रफलका प्रमाण है ॥२६॥ विशेषा:-२०७५७५vt.५६७७-२१२-२०१०३५१ वर्ग योजन मरतक्षेत्रका क्षेत्रफल है। चम्बूढीपस्थ मरतादि क्षेत्रोंकी शलाकाएँ क्रमशः एक, पार, सोमह, चौंसठ, सोलह, पार मोर एक हैं। इन सबका योग (१+४+१६+ ५४+१६+४+१=१.६ प्राप्त एमा। पुष्करपरदीपके दो मे सम्बन्धी दोनों भागोंका ग्रहण करनेके लिए इन्हें दूना करनेपर (१०६x२)=२१२ होते हैं, इसीलिए गापामें २१२ का भाग देनेको कहा गया है। शेष क्षेत्रोंका क्षेत्रफल-- भरह - खिदीए गणिष, पतंक बटगुण विवहतं । ततो कमेष घनमुन • हापो' एराव बाद ॥२९ ॥ प:-भरतक्षेत्रका जो क्षेत्रफल है उससे विदेह-पर्यन्त प्रत्येक क्षेत्रका क्षेत्रफम उत्तरोतर चौगुना है । फिर इसके बागे ऐरावतक्षेत्र पर्यन्त क्रमश: चौगुनी हानि होती गई है ॥२५॥ . १.१....ब.स.शेसि। २. . पर। .....ब.उ.हारिण।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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