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________________ ७८८] तिलोयपत्ती दोनों देशोंकी मध्यम लम्बाई - दो-तिय-इगि-प-ब-एक्कं मंसा सहेब प्रश्वा । महिलय विस्थाएं महपम्म सुरम्म विक्या ।। २९३४ ।। - दो P १४५१३२६ ।। अर्थ :- छह, दो, तीन, एक, पाँच, चार और एक, इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन मोर बड़तालीस भाग अधिक महापद्मा और सुरम्या नामक देशका मध्यम विश्वा ( लम्बाई १४५१३२६६२ ० ) है ।।२६३४ ।। +४४ ६० । दोनों देशों को मन्तिम और दो वक्षार पर्वतोंकी प्रादिम लम्बाईसग-सगड-गि-चर-वस-एक्कं प्रसा यदु-सब-रहिये । बिजमार्ग असं आविल्लं बोसु वक्तारे ।।२९३५॥ [ गापा २९३४ - २१३६ १४४१८७७ । ३१३ :- सात, सात, आठ, एक, चार, चार और एक, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और दोसी चार भाग अधिक दोनों देशों की अन्तिम तथा भजन एवं विजटावान् इन दो वक्षार-पवंसों की माविम सम्बाई ( १४४१८७७११३ योजन ) है ।। २२३५॥ १४५१३२६ - ६४४८ = १४४१८७७३२ यो० । दोनों वक्षार पर्वतों की मध्यम लम्बाई तिम-दो-गय-भ-च-चज एकं प्रसाय होंति चुलसीबी । अजग- बिजडारिए, होरि - मक्झिल्ल बीस १. ८. व.क. . . मपम्मएसुषम्मए । - २६३६ ॥ १४४०६२३ | H अर्थ:-तीन दो, नो, शून्य, चार, चार और एक, इस अंक क्रमसे जो संस्था उत्पन्न हो उतने योजन धौर घोरासो भाग अधिक अञ्जन और विजटावान् पर्वतकी मध्यम लम्बाई पो० ) है ।। २६३६॥ ( १४४००२३ १४४१८७७३÷३ – १४- १४४०२३६% वो० ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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