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________________ गया : २२३१-२६३३ ] त्यो महाहियारो दोनों क्षेत्रों की अन्तिम और दो विभंग नदियोंकी आदिम लम्बाईइगि- पण दो----एमके असा सर्वच उसी । दो- विजया सं, आविल्लं वो विभंग - सरियाशं ॥ २६३१॥ w १४६१२५१ | K :- एक पांच, दो, एक छह बार और एक इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और एकसी चौंसठभाग अधिक दोनों क्षेत्रोंकी अन्तिम तथा क्षीरोदा एवं उन्मत्त जला नामक दो विभायोको प्रादिन ल Sit ४६१३५१३१६ ० ) २६३१॥ १४७०७०००६ - २४४८६३३६- १४६१२४१३३६ मो० । दोनों विभंग नदियों को मध्यम लम्बाईतिय-इति-भ-गि--- एक असा लहेब बी । मभिरलं खोरोवे', उम्मत्त मम्मि H [ ७८७ १४६१०९३ । १६ । तीन एक शून्य. एक, छह बार और एक इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उसने योजन और मट्ठाईस भाग अधिक क्षीरोदा एवं उन्मत्तजला नदियोंमेंसे प्रत्येककी मध्यम लम्बाई ( १४६१०१३३३६ यो० ) है ।। २६३२ ।। - पक्के ॥२३२॥ १४६१२५१३३ |२३८६३३= १४६१०१३३६६ यो । 、 दोनों नदियोंकी अन्तिम और दो देशोंको मादिमसम्बाई'चच-सग-सग-भ-छक्क, चल एक्सा सयं च चउरहियं । दो मंतिम बोहं भाविल्ल दो विलवाणं ॥ २६३३॥ १४६०७७४ | ३३३ धर्म :- चार, सात, सात, शून्य, छह बार और एक. इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उसने योजन और एकसौ चार भाग अधिक दोनों नदियोंको अन्तिम तथा महापद्मा एवं सुरम्या नामक दो देशोंकी बादिम लम्बाई ( १४६०७७४२३३ यो० ) है ।।२६३३॥ १४६१०१६ + २३८१० (४६०७७४१ यो० । 1. T. 5. 4. 2. mržè 1. 2. 3. 4. 6. T. J. MINÌRI
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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