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________________ ७८० ] तिलोयपष्मणतो [ गाण । २६५०-२६१२ दोनों क्षेत्रोंको मध्यम लम्बाईसग-मड-बस-दुग-तिष-गभ-गो विष-अंसा सहेवपुलसीवी। ममित्लय . वोहत, महवप्पे लगताबसे ।।२६१०॥ २०३२४८७ । ३ । प्रबं: सात, पाठ, पार, दो, तीन, शून्य और दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उत्तने योजन और अट्ठाईसमाग अधिक महावमा एवं सांगलावर्ताको मध्यम सम्बाईका प्रमाण ( २०३२४८७३६. यो.) है ॥२६१०॥ २०२३०३ +twit२-२०३२४८७६ यो । दोनों क्षेत्रोंको अन्तिम और दो विभंगा नदियोंको आदिम नम्बाईपग-तिय-भव-गि-बज-गम-वोग्णि य अंसा तहेव पुलसीवी। वो - विजयावं मंशाहिल्लं. कोलु मयि | THEYE २०४१९३५। । प:-पाच. तीन, नौ, एक. पार, शून्य पौर दो, इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उसने योजन मौर चौरासी भाप अधिक दोनों विजोंकी अन्तिम तथा गम्भौरमालिनी एवं पंकवती मामक दो नदियों की प्रादिम सम्बाई ( २०४१९३५ योजन ) है ॥२६११।। २०३२४८७१+१४४६ -२०४१६३५. यो । दोनों मबियोंकी मध्यम लम्बाईचन-सत्त-एक्का-दुग-उ-भ- अंसा कमेण अटु'। गंभीरमालिपीए, मणिमल्ल पंकलिंगाए ॥२९१२॥ २०४२१७४। । मर्ग:-पार, सात, एक, दो, पार, शून्य और दो, इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और पाठ भाग पधिक गम्भीरमालिनी एवं पंकवती नदियोंकी मध्यम लम्बाई { २०४२१७४.६ योजन ) है ॥२६१२!! २०४१६३५११+ २३८१५-२०४२१७४. पो०।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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