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________________ गाषा : २१०७-२६.६ ] पउत्यो महाहियारो । ७७९ दोनों क्षेत्रोंकी मन्तिम तथा दो वक्षार पर्वतोंको प्रादिम लम्बाईपष-मुगिगि-दोन्हि-संयुग, मंसा पाय-महिप-एकसयं। दो - विजयान मंतं, आषिस पलिग - पाप - मगे ॥२६०७॥ २०२११२६ । । पर्ष :--नौ, दो, एक, एक, दो, शून्य और दो, इस अंक क्रमसे जो संस्था उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ छप्पन भाग अधिक दोनों क्षेत्रों की प्रन्तिम तथा नमिन एवं नाग पर्वतकी आदिम सम्बाई ( २०२११२६३ योजन ) है ॥२६०७|| २०११६८१५१०+६४४८ २०२११२६ यो । दोनों वक्षार पर्वतोंकी मध्यम लम्बाईपउ-अब-युग-बु-स-चो, 'ग्रंक जोगणपति सा xsx sx 2%E परसट्ठी मकिमल्ले, णाग • नगे नलिन - फूडम्मि ॥२६०६॥ २०२२०८४। पर्व:--पार, आठ. शून्म, दो, दो, शून्य और दो. इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो । उतने योजन पौर चौसठ भाग अधिक नाग-नगको और नलिन कूटको मध्यम सम्बाईका प्रमाण ( २०२२०८४ यो) है ।।२९०८।। २०२११२९ + Exxass=२०२२०८४४ यो । दोनों पर्वतोंकी मन्तिम और वो क्षेत्रों की प्रापिम लम्बाईप्रारतिय-गम-तिय युग-यम-दो ग्णिय अंसा सय व चुलसीबी । दोसु गिरीनं प्रत, पाविस्वं दोसु विषमा २०६॥ २०२३०३८ । अर्थ:-माठ, तीन, शून्य, तीन, दो. ग्रून्य और दो, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसो चौरासी भाग अधिक दोनों पर्वतोंको मन्तिम तया लांगलाया एवं महावना देशको आदिम लम्बाई ( २०२३०३० यो• ) है ।।२६०६ ।। २०२२०८४ +१५४१-२०२३०३८१ यो । १.... क.अ, ब, कमें।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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