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________________ ७७. ] तिलोप्पण्णसी [ गाथा : २८५८-२८८ तस्मबीए परिही, एक्कं कोडी य तोस-सालागि । पज-पउदि-सहस्साणि, सत - सया जोयभागि छन्वोस ॥२८७८॥ १३०६४७२६ । अर्थ । इस सूचीको परिधि एक करोड़ तीस लाख पौरान हजार सातसौ फवीस योजन प्रमाण है ।।२८७०।। विषा) :–परिधि - ४१४०६१६४१०-१३.६४७२६ योजन | HERE पोजन अवशेष बचे जो छोड़ दिए गये है। ... PREE विदेहकी लम्बाई निकालनेका विधान और उस तम्बाईका प्रमाणपम्बर विसुद्ध-परिही - सेसं उसद्धि - स्व - संगिध । गारस - पुर - वु - सए हिं, भनिम्हि विरोह - दोहत ॥२७॥ मर्थ:-इस परिधिर्भसे पर्वत-रूस क्षेत्र घटाकर शेषको चौंसठसे गुणा कर दोसौ बारहका भाग देनेपर विदेहकी लम्बाईका प्रमाण माता है ।।२८७६॥ पटु-पर-सत्त-पण-चउ-मटु-ति-अंक-पकमेण जोयगया । बारस - अहिय - सर्वसा, तहान बिवह • दोहतं ॥२८॥ ३८४५७४ । । अर्थ:-पाठ, पार, सात, पाच चार, आठ और तीन इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ बारह भाग अधिक ( कच्छा और गन्धमालिनीके पास ) विदेहको सम्माई है ॥२८८०॥ बिरोबा :-गाथा २८४६ में पर्वतबद्ध क्षेत्रका प्रमाण ३५५६८४० योजन कहा गया है मत :-- [( १३०६४७२६ - ३५५६८४0 x६४]:२१२३४५७४८17 योजन विवह की सम्बाई है। कमला और पन्धमालिनीकी प्रादिम लम्बाईका निरूपणसीवा - सोपवणं, वासं दु• सहस्स तम्मि प्रमिल। सवसेस बोह, कणिट्टयं कच्छ - गंधमालिणिए ॥२८॥
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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