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गाथा : २८६५-२८६८ ] पस्यो महाहियारो
[ ७६७ पमं:-पुष्करवरद्वीप सम्बन्धो कुरुओंका मण्डलाकार (गोन ) क्षेत्रका प्रमाण पन्द्रह___ लाच उनीस हजार सब्बीस योजन पौर एकसौ इक्कीस भाग अधिक प्रर्शन् १५१९०२६५ यो. है ।।२८६४॥
सत्तारस - समसागि, बोहस • जब-ससहचरि-सयाणि । महु-कसानो पोक्खर - कुरु - बंसए होवि अंक - इसू ।।२८६५॥
१७०७७१४ । । मपं:-पुष्करवरदीप सम्बन्धी कुरुक्षेत्रका कारण सत्तरह लाख सतहत्तरसौ पौदह योजन पोर माठ कला (१७०७७१४ यो० } प्रमाण है ॥२८६५।। भाHars ... AARAासन
RATE ये सरला पणारस - सहस्स - सस - सय-अनु-वण्णाओ। पुष्वावरेण बोहं बीवडे भहसाल • वर्ण ॥२६॥
२१५७५८ । म :--पुष्करार्धद्वीपमें भाशालयनको पूर्वापर लम्बाई दोलाख पन्द्रह हजार सातसो ___ अट्ठावन ( २१५७५८ ) योजन प्रमाण है ॥२८६६।।
भहसाल-इंदा-२४५१ । १ । अ :- मद्रपालवनका उसर-दसिरा विस्तार ( २१५७१८ यो० लम्राई )२४.५:योजन प्रमाण है।
उचर-सपिलग-भाग-द्विवाण जो होवि भहसाल - वर्ग। ।
पिरमो काल - बसा, सच्छिन्गो तस्स उबएसो ||२८६७॥
पर्य :-उत्तर-दक्षिण भागमें स्थित मशालवनका जो कुछ विस्तार है, उसका उपदेश कालवश नष्ट हो गया है ॥२८६७॥
विरोवा:-अपर जो २४५१:१ यो• विस्तार कहा है वह उत्तर-दक्षिरणका ही है। किन्तु गाथामें उसके उपदेशको नष्ट होना कहा गया है ।
गिरि-भासाल-विजया, वनार · विभंग - सरारम्णा । पुण्यावर - विस्थारा, पोक्सर - बी बिहार्ग ॥२६॥
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